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CG News Bad condition of schools in the state 75 percent schools are run by the incharge and not by the principal
रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा के सुशासन आने के बाद भी स्कूली शिक्षा का बुरा हाल हैं। बता दें कि, प्रदेश में लगभग पांच हजार स्वीकृत हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल में से मात्र 25 प्रतिशत शालाओं में प्राचार्य सेवारत है। शेष 75 प्रतिशत शालाओं प्राचार्य विहान है, ये सभी स्कूल प्रभारी प्राचार्य के भरोसे संचालित है। वहीं, 3576 प्राचार्य के पद आठ साल से खाली है। जबकि अभी 1,207 स्कूल में प्राचार्य सेवारत हैं।
जिसके कारण इसका असर पढ़ाई के गुणवत्ता पर पड़ रहा है। बोर्ड परीक्षा के परिणामों में भी अपेक्षाकृत वृद्धि नहीं हुई है। स्कूल शिक्षा विभाग शालाओं में प्राचार्य के पद पूर्ति करने में कछुआ चाल अपना रहा है। दो वर्षों से प्राचार्य पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन किसी न किसी कारण से अब तक प्राचार्य के पद पर पदोन्नति नहीं की गई है।
जानकारी के अनुसार, पिछली सरकार के समय शालाओं में प्राचार्य पदोन्नति के लिए कवायद शुरू की गई थी, लेकिन उच्च न्यायालय में स्टे होने के कारण प्राचार्य पदोन्नति नहीं हुई। वर्तमान स्थिति में नियमित व्याख्याता संवर्ग, एलबी व्याख्याता संवर्ग व प्रधान पाठक मीडिल स्कूल से प्राचार्य के पद पर पदोन्नति होना है, जिसमें सभी पदों के लिए पदोन्नति की मांग कर्मचारी संगठनों द्वारा किया जा रहा है। इससे छत्तीसगढ़ के संकुल मुख्यालय के प्राचार्य पदस्थ रहे व प्राथमिक से लेकर 12वीं तक की शिक्षा को गुणवत्ता दे सके।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि, प्राचार्य पदोन्नति के लिए में अब नियम में कोई पेंच या कोर्ट का अवरोध नहीं है। कुल 100 प्रतिशत पद में 10 प्रतिशत सीधी के भर्ती, 25 प्रतिशत प्रधान पाठक से पदोन्नति, शेष 65 प्रतिशत में से 70 प्रतिशत नियमित व्याख्याता संवर्ग से और 30 प्रतिशत एलबी व्याख्याता में संवर्ग के पदोन्नति से पद पूर्ति किया जायेगा।