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CG Police action Raids conducted in other states in the name of betting app without informing IG
रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस का बड़ा कारनामा सामने आया है। प्रदेश की पुलिस महादेव सट्टा ऐप के नाम पर दूसरे राज्यों में रेड मार देती है और बड़े अधिकारियों को इसकी खबर तक नहीं होती।
ताजा मामला दुर्ग जिले का है। यहां महादेव सट्टा ऐप मामले में संदिग्धों की गिरफ्तारी के नाम पर पुलिस ने दूसरे राज्य में रेड मारी। इसमें एक युवक ने तो पुलिस के डर से तीसरे माले से छलांग लगा दी जिसमें मौत हो गई। ख़ास बात यह है कि दुर्ग पुलिस ने इस रेड की जानकारी आईजी तक को नहीं दी। आईजी दो बार एसपी को चिट्ठी लिखकर यह पूछ चुके हैं कि बिना अनुमति के पुलिस ने दूसरे राज्य में कैसे रेड मारी, लेकिन अभी तक कप्तान साहब ने आईजी को इसका जवाब नहीं दिया है। दुर्ग एसपी जितेंद्र शुक्ला से इस मामले में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जवाब के बारे में तो आप आईजी से ही पूछिए। उन्होंने आगे कुछ नहीं कहा।
बता दें कि, साल 2018 और 2019 में छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय से दो आदेश जारी हुए थे। इनमें साफ तौर पर यह जिक्र था कि छत्तीसगढ़ के पुलिसकर्मी यदि सरकारी काम से दूसरे राज्यों में जाते हैं तो उन्हें संबंधित रेंज के आईजी को इसकी जानकारी देनी होगी। उस मामले की गंभीरता के हिसाब से आईजी यह तय करेंगे कि टीम को बाहर भेजना है या नहीं।
इस सरकारी आदेश के बावजूद दुर्ग पुलिस ने बिना आईजी को जानकारी दिए रेड मार दी और महादेव सट्टा ऐप मामले में बिहार से 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया। जब सोशल मीडिया में खबर चली तब आईजी को पता चला। इसी तरह सुपेला थाना पुलिस ने हैदराबाद में रेड मारी। इन दोनों मामलों में आईजी ने 29 जून को संज्ञान लेते हुए दुर्ग एसपी से जवाब तलब किया। पूछा कि बिना अनुमति टीम को कैसे बाहर भेजा गया।
क्या है कि दुर्ग पुलिस ने 28 जून को हैदराबाद के सोई ऐमू रेसीडेंसी गोलीडोडी के मकान नंबर 303 में रेड मारी थी। यहां आनलाइन सट्टा एप लोटस का पैनल पकड़ा गया था। पुलिस को देखकर सट्टा खिलाने वाला युवक सुजीत साव निवासी कैंप ने अपार्टमेंट की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी थी। तब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया था।
यह घटनाक्रम सामने आने के बाद 5 जुलाई को दुर्ग रेंज आईजी रामगोपाल गर्ग ने दुर्ग एसपी से फिर जवाब-तलब किया। पूछा कि बिना अनुमति कैसे पुलिसकर्मी दूसरे राज्य में गए। उन्होंने चिट्ठी में युवक की मौत का जिक्र करते हुए तीन दिन में एसपी से जवाब मांगते हुए मामले की जांच वरिष्ठ अधिकारियों से कराने के निर्देश दिए हैं, लेकिन आईजी को संतोष जनक जवाब नहीं मिला है।
पुलिस विभाग की ओर से ये कारनामा कोई नया नहीं है। इसके पीछे एक पूरा मकसद ही होता है। दरअसल, पुलिस वाले बिना बताए रेड मारते हैं। कुछ ठोस हाथ लग जाता है तो ठीक वरना सेटिंग तो होनी ही है। इस तरह ऐसी दबिश कोई सरकारी दस्तावेजों में तो दर्ज होती नहीं हैं। लिहाजा, पुलिस मौके पर ही पूरा खेल कर डालती है। 'राम नाम जपना पराया माल अपना' वाला खेल यहां खेला जाता है।
सवाल यही है कि छत्तीसगढ़ के चर्चित महादेव सट्टा ऐप मामले में पुलिस ऐसी बल्लेबाजी कर रही है और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार पर बट्टा लग रहा है। दूसरे राज्यों में छत्तीसगढ़ की छवि खराब हो रही है। यहां यह भी गौरतलब है कि महादेव सट्टा ऐप केस में 18 या 19 जुलाई को कोर्ट में चालान पेश करने की तैयारी है।