Challenge in High Court for making principal without B.Ed.
प्रदेश में प्राचार्य पद पर प्रमोशन की तैयारियां जोरों शोरों पर चल रही है लेकिन साथ ही साथ अलग-अलग केस में न्यायालय में कुछ मामलों को लेकर सुनवाई भी चल रही है । इसी प्रकार के एक मामले में हाईकोर्ट के नोटिस का जबाव देने के लिए उप-महाधिवक्ता कार्यालय की ओर से डीपीआई और सचिव से सुनवाई के लिए ओआईसी नियुक्त करने और उसके माध्यम से मामले से जुड़े समस्त दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा है ।
दरअसल अखिलेश कुमार त्रिपाठी और कुछ अन्य शिक्षकों ने हाई कोर्ट में इस बात को लेकर याचिका दायर की है कि प्राचार्य के 65% पदों पर लेक्चरर प्रमोशन की जो प्रक्रिया शुरू हुई है उसमें नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है और उन अभ्यार्थियों को भी लाभ देने की तैयारी है जिनके पास बीएड की डिग्री नहीं है । याचिकाकर्ताओं के हिसाब से यह सीधे तौर पर एनसीटीई के निर्देशों का उल्लंघन है और इसे लेकर उन्होंने याचिका दायर की है मामले में आगे सुनवाई होनी है इसे देखते हुए शासकीय अधिवक्ता ने स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर इसके लिए अधिकारी नियुक्त करने और समस्त दस्तावेज उपलब्ध कराने की बात कही है स्वाभाविक है कि न्यायालय से प्रक्रिया लंबित होने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है और ऐसे कई मामलों में विभाग की सुस्ती प्रमोशन में देरी का कारण भी बनती है तो अब इस पत्र के सामने आने के बाद शिक्षकों में इस बात को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि कहीं फिर से एक बार कोई अड़चन तो नहीं आने जा रहा है ।
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