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During the siege and demonstration of Congress the former state president and former minister did not even get a place to sit on the stage Mohan Markam was forced to sit on the handles of two chairs
रायपुर। सत्ता और पद बहुत ही बेरहम होते हैं। सत्ता और पद जाते ही आपके नाम का जयकारा लगाने वाले या तो ग़ायब हो जाते हैं या फिर मुँह फेर लेते हैं।
आज ऐसा ही देखने को मिला जब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री मोहन मरकाम को मंच पर एक अदद कुर्सी तक नसीब नहीं हुई। मजबूरी में वो दो बड़े नेताओं की कुर्सियों के हत्थों पर बैठ गए। बाद में आंदोलन के दौरान फ़ोटो सेशन में भी बड़ी मुश्किल से जगह मिली।
मरकाम बस्तर के दमदार नेता माने जाते हैं जिन्होंने भाजपा के तत्कालीन क़द्दावर मंत्री लता उसेन्डी को दो बार धूल चटायी, लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आने के दो साल बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अनबन के बाद पहले उन्हें ताकतवर नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवाया फिर आख़िरी समय में मंत्री बनवा कर चुनाव भी हरवा दिया।
हालत तो यहाँ तक ख़राब किए गए कि कोण्डागांव के किसानों को समय पर धान के समर्थन मूल्य का भुगतान तक नहीं होता था जिसके चलते किसानों ने उनके निवास पर भी प्रदर्शन तक किया।
पूरे प्रदेश में लगातार दौरे कर मरकाम ने पार्टी को मज़बूत करने का भरसक प्रयास किया लेकिन पार्टी के कुछ ताकतवर लोगों को ये अच्छा नहीं लगता था। हालात तो यहाँ तक ख़राब थे कि मोहन की कार्यकारिणी के एक महामंत्री को 2 साल तक मुख्यमंत्री से मिलने का समय तक नहीं मिला। जेल में बंद सुपर सीएम न्यूज़ चैनल्स में मरकाम के खिलाफ खबरें प्लांट करवाती थी इसके लिए डीपीआर के अधिकारियों से जबरन ये सब करवाया जाता था। फिर अलग से फ़ोन भी किया जाता था कि मोहतरमा ऐसा चाहती हैं।