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प्राचार्य पदोन्नति मामले में आज आ सकता है हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय...राजपत्र के यह बिंदु अटका सकते हैं प्रमोशन में रोड़ा

By: DM
Raipur
3/26/2025, 10:05:51 AM
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Important decision of High Court may come today in Principal promotion case

रायपुर। प्राचार्य पदोन्नति मामले में आज हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में सुनवाई है और ऐसा माना जा रहा है कि आज कोर्ट से इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय आ सकता है। दरअसल प्रदेश में प्राचार्य पद पर पदोन्नति की प्रक्रिया जारी है और डीपीसी की प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो चुकी है। ऐसे में माना जा रहा था कि आने वाले कुछ समय में स्कूलों में नए प्राचार्य की पदस्थापना हो जाएगी और लंबे समय से प्रमोशन की राह देख रहे व्याख्याता को इसका सीधा लाभ होगा, लेकिन इसी बीच हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में प्राचार्य प्रमोशन से जुड़े मामले की सुनवाई शुरू हुई।

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जिसके तहत इस बात पर निर्णय होना है कि क्या बिना बी एड  डिग्री वाले व्याख्याता को प्राचार्य बनाया जा सकता है। अभी जो सूची डीपीसी के लिए गई है उसमें ऐसे व्याख्याता का नाम शामिल है जिन्होंने बीएड नहीं किया है और जिनके पास प्रशिक्षण के नाम पर डी एड या बीटीआई की डिग्री है। हाईकोर्ट में डीएड डिग्रीधारी व्याख्याता ने भी हस्तक्षेप याचिका लगाई है जिसके जरिए वह अपना पक्ष रखेंगे। 

शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 के प्रावधानों पर होनी है चर्चा

कोर्ट केस में शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 , एनसीटीई के रुल रेगुलेशन के तहत इस बात को तय किया जाएगा की क्या व्याख्याता जो बीएड डिग्री धारी नहीं है उन्हें प्राचार्य बनाया जा सकता है । आम चर्चा में यह विषय है कि क्योंकि प्राचार्य का पद शैक्षणिक पद नहीं है प्रशासनिक पद है अतः बीएड की अनिवार्यता नहीं है लेकिन शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 में प्राचार्य पद के लिए बी एड की अनिवार्यता दर्शाई गई है यही नहीं उपसंचालक /जिला शिक्षा अधिकारी / प्राचार्य ( प्रथम श्रेणी ) के जो पूरी तरह से प्रशासनिक पद है उसके लिए भी जो सीमित भर्ती परीक्षा होनी है जिसमें विभाग के ही अभ्यर्थी शामिल होंगे में बीएड अनिवार्य रखा गया है । इधर 20 वर्ष से अधिक सेवा वाले व्याख्याताओ को शैक्षणिक अर्हता बीएड में छूट देने की भी चर्चा है । ऐसे भी जिस प्रकार बीएड/डीएड का मामला सहायक शिक्षक से लेकर व्याख्याता तक के लिए फंसा हुआ है उसमें यह देखना होगा कि इसकी काली छाया में कहीं प्राचार्य का पद भी तो नहीं आता है। अब देखना होगा कि आज न्यायालय इस पर क्या निर्णय सुनाता हैं ।

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