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It is mandatory for foreign companies to take permission from the Central Government before conducting surveys in India: High Court
कोच्चि। केरल हाईकोर्ट ने 2010 में तिरुवनंतपुरम में सर्वेक्षण करने के लिए एक भारतीय कंपनी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। पुलिस के अनुसार सर्वेक्षण का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना था।
हाईकोर्ट ने कहा कि, किसी भी विदेशी कंपनी या संगठन को भारत में सर्वे से पहले केंद्र सरकार की अनुमति लेना जरूरी है। हाईकोर्ट ने 2010 में तिरुवनंतपुरम में सर्वेक्षण करने के लिए एक भारतीय कंपनी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। पुलिस के अनुसार सर्वेक्षण का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना था। भारतीय कंपनी टेलर नेल्सन सोफ्रेस (टीएनएस) पीएलसी ने यह सर्वे अमेरिका स्थित प्रिंसटन सर्वे रिसर्च एसोसिएट्स (पीएसआरए) के लिए किया था।
जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने भारतीय कंपनी की उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की याचिका खारिज करते हुए कहा, यदि इस तरह के सर्वेक्षण जारी रहने दिए गए तो वे हमारे देश की सुरक्षा और सबसे महत्वपूर्ण रूप से धार्मिक सद्भाव को प्रभावित करेंगे। यह हैरानी की बात है कि एक विदेशी कंपनी भारत सरकार से अनुमति लिए बगैर सर्वे करा रही थी।
लोगों से संदिग्ध सवाल पूछे जा रहे थे। अपने 4 नवंबर के फैसले में हाईकोर्ट ने सर्वेक्षण को संदिग्ध करार देते हुए कहा कि अभियोजक के तर्क में दम है कि अगर संपूर्ण प्रश्नावली का अध्ययन किया गया तो यह न सिर्फ संवेदनशील और आपत्तिजनक है, बल्कि सर्वेक्षण के उद्देश्य पर भी संदेह पैदा करता है।
अदालत ने कहा कि, केंद्र सरकार को इस मामले को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। यदि इस तरह के सर्वेक्षणों के माध्यम से हमारे देश की अखंडता को नुकसान पहुंचाने की कोई मंशा है, तो कानून के अनुसार उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि, राज्य पुलिस की जांच पर्याप्त नहीं है। उसने जांच अधिकारी को मामले में अब तक की गई जांच के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) को रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेंगे और यदि आवश्यक हो तो कानून के अनुसार आगे की जांच का आदेश देंगे।
पुलिस ने अदालत को बताया कि, उसकी जांच से पता चला है कि एक हानिरहित सर्वेक्षण के नाम पर, उन्होंने एक विशेष धार्मिक पृष्ठभूमि से संबंधित लोगों का साक्षात्कार करने के लिए भारत में अत्यधिक संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों का चयन किया।