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Name transfer with registry: For the first time any government has done a work to free the public from hassles
रायपुर। राजधानी में जमीन विवादों और रजिस्ट्री के फर्जीवाड़े को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने नामांतरण की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब, जमीन की रजिस्ट्री होते ही स्वचालित रूप से नामांतरण भी हो जाएगा, जिससे रजिस्ट्री के बाद लंबा इंतजार करने की समस्या समाप्त हो जाएगी।
इस बदलाव के तहत, अब रजिस्ट्री के साथ ही स्वचालित रूप से भुईंयां पोर्टल पर खरीदार या भूमि स्वामी का नाम अपडेट हो जाएगा। वर्तमान में, रजिस्ट्री कराने के बाद नामांतरण के लिए दो से चार हफ्ते का इंतजार करना पड़ता था और अक्सर लोग आवेदन नहीं करते थे, जिससे एक ही जमीन की रजिस्ट्री कई बार हो जाती थी। नया सॉफ्टवेयर इस समस्या को खत्म करने के लिए तैयार किया जा रहा है, जो एनआईसी-चिप्स की मदद से भुईंयां पोर्टल से जुड़ा रहेगा।
राजस्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अब रजिस्ट्री के बाद नामांतरण के लिए अलग से आवेदन देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिन लोगों ने पहले रजिस्ट्री की थी लेकिन नामांतरण नहीं कराया, उनके नामांतरण की प्रक्रिया भी इस नए सिस्टम के तहत बिना किसी अतिरिक्त आवेदन के पूरी हो जाएगी। इससे हजारों लोगों को राहत मिलेगी।
राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया था, जिसे विधानसभा में पारित किया गया और अब इसके तहत नामांतरण प्रक्रिया में सुधार के लिए आवश्यक अधिसूचना जारी की गई है। रियल एस्टेट से जुड़े जानकारों के अनुसार, यह बदलाव खासतौर पर रजिस्ट्री से जुड़े विवादों को खत्म करने में सहायक होगा, जिससे लोगों को भूमि रजिस्ट्री और नामांतरण के लिए अब तहसील में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
नए सॉफ्टवेयर के लागू होने के बाद यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन हो जाएगी और लोगों को तहसीलों, आरआई या पटवारी के पास जाने की कोई जरूरत नहीं होगी, जिससे लोगों को राहत मिलेगी।