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Naxal Sujata surrendered who had set up the most powerful organization in the country left the weapon due to poor health
रायपुर। एक करोड़ की महिला नक्सली की गिरफ्तारी की खबर से पर्दा उठ गया है। ईनामी नक्सली नेता और सीसी मेम्बर सुजाता उर्फ पोतुला कल्पना गिरफ्तार नहीं हुई थी बल्कि उसने आत्मसमर्पण किया था।
बीजापुर। बीते दिनों एक करोड़ की महिला नक्सली सुजाता की गिरफ्तारी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। तीन दिनों से सोशल मीडिया पर उसकी तेलंगाना पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की खबर चल रही थी। लेकिन एक करोड़ की ईनामी नक्सली नेता और सीसी मेम्बर सुजाता उर्फ पोतुला कल्पना गिरफ्तार नहीं हुई बल्कि तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है।
जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से सुजाता ने 10 दिन पहले ही नक्सल संगठन को छोड़ दिया था। इसके बाद वह हैदराबाद के महबूब नगर में इलाज कराने आई थी। फिलहाल वह हैदराबाद पुलिस के कब्जे में है। पुलिस उससे लगातार पूछताछ कर रही है। सुजाता का पति किशन भी मोस्ट वांटेड नक्सल कमांडर था। झारखंड में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई थी।
सुजाता और बस्तर में नक्सलवाद का गहरा संबंध रहा है। सुजाता नक्सल संगठन में दक्षिण बस्तर सब जोनल ब्यूरो की प्रभारी सचिव थी, जिसके अंतर्गत सुकमा व बीजापुर जिला सहित नक्सली संगठन के तीन डिवीजन आते हैं। बस्तर में नक्सलवाद के पहले कदम 1980 के दशक में पड़े थे, तब से ही सुजाता बस्तर में सक्रिय रही है। अपने कार्यकाल में उसने देश में नक्सलियों का सबसे ताकतवर संगठन खड़ा कर डाला। नक्सलियों की सबसे खतरनाक बटालियन नंबर एक को सशक्त बनाने में सुजाता का ही हाथ था, जिसका कमांडर कुख्यात नक्सली हिड़मा है। 17 वर्ष तक नक्सल संगठन में सक्रिय रहने के दौरान 1990 के दशक में सुजाता के साथ काम कर चुका बासागुड़ा दलम का कमांडर बदरन्ना वर्ष 2000 में आत्मसमर्पण के बाद से नगर निगम जगदलपुर में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में काम कर रहा है। उसने बताया कि सुजाता महाराष्ट्र से यहां डिवीजनल कमेटी सदस्य बनकर आई थी। बासागुड़ा दलम उसी के अधीन आता था। उसके साथ मिलकर उसने तारलागुड़ा में पुलिस पार्टी पर हमला किया था, पर नुकसान उठाना पड़ा था। बाद में सारकेगुड़ा में वह सुजाता के साथ था, तब भी पुलिस पार्टी ने हमला किया था। इस हमले में वे बच निकले थे।
नक्सल संगठन की सेंट्रल कमेटी में अभी 15 से 20 नेता ही होने की बात' कही जाती है। इसमें सुजाता की भूमिका समझना है तो उसके परिवार की पृष्ठभूमि से परिचित होना पड़ेगा। उसके परिवार में तीन सेंट्रल कमेटी के नेता थे। पति किशनजी, देवर भूपति उर्फ सोनू व वह स्वयं।
समर्पण कर मुख्या धारा से जुड़े पूर्व नक्सली बदरन्ना बताते हैं कि सुजाता को शुरुआत से ही अस्थमा की बीमारी थी और वह अधिक दूरी तक चल-फिर नहीं पाती थी। वह पार्टी के लिए रणनीतिकार की भूमिका में हमेशा रही है। वह कई भाषा-बोली जानती थी। अपने कार्यकाल में उसने सैकड़ों लोगों को संगठन में भर्ती किया था। सुजाता ने दक्षिण बस्तर डिवीजन को देश का सबसे ताकतवर नक्सल संगठन बनाकर नक्सल संगठन में अपनी अलग पहचान स्थापित की थी। ताड़मेटला, झीरम घाटी, मिनपा, चिंतागुफा से लेकर टेकुलगुड़ेम तक देश में चर्चित इन हमलों के पीछे सुजाता का ही दिमाग रहा है।