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Now the Indian Army will defeat the enemy not only with weapons but also with AI and technology
ARTIFICIAL INTELLIGENCE: भारतीय सेना अब सिर्फ पारंपरिक हथियारों पर निर्भर नहीं रहेगी, बल्कि नेटवर्क, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके दुश्मन को परास्त करेगी। सेना ने 2026-27 को “नेटवर्किंग और डेटा सेंट्रिसिटी का वर्ष” घोषित किया है, जिसका अर्थ है कि अब हर सैनिक, सेंसर और हथियार आपस में जुड़े हुए होंगे और सभी इकाइयों का डेटा वास्तविक समय में साझा किया जाएगा। इस डेटा का विश्लेषण AI के ज़रिए किया जाएगा, ताकि युद्ध में निर्णय तेज़ और सटीक लिए जा सकें।
तेज़ और सुरक्षित नेटवर्क
सेना अपने पुराने नेटवर्क को बदलकर तेज़ और सुरक्षित नेटवर्क बनाएगी, जिसमें सैटेलाइट, क्लाउड और स्वदेशी कंप्यूटर शामिल होंगे। इसके माध्यम से थल, वायु और नौसेना तीनों सेनाओं का बेहतर समन्वय होगा। राष्ट्रीय एजेंसियों और मित्र देशों की सेनाओं के साथ डेटा और नेटवर्क शेयरिंग भी संभव होगी। इंडस्ट्री, स्टार्टअप और शिक्षण संस्थानों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा ताकि तकनीकी नवाचार बढ़ सके।
AI मॉडल का परीक्षण
यह परिवर्तन चार चरणों में लागू होगा। पहला चरण सभी डेटा को एक ही फॉर्मेट में लाने का है। दूसरे चरण में सभी ऐप्स और सेंसर को एक प्लेटफ़ॉर्म पर जोड़ा जाएगा। तीसरे चरण में छोटी-छोटी पायलट परियोजनाएं चलाई जाएंगी, जिनमें AI मॉडल का परीक्षण होगा। चौथे चरण में स्वदेशी क्लाउड, कंप्यूटर और सुरक्षित डेटा लिंक तैयार किए जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी आर्मी हेडक्वार्टर करेगी और प्रत्येक तीन महीने में समीक्षा की जाएगी।
साइबर हमलों से सुरक्षा बढ़ेगी, ड्रोन, मिसाइल और रडार जैसी प्रणालियां
इस तकनीकी बदलाव के कई फायदे होंगे। निर्णय तेजी और सटीकता के साथ लिए जा सकेंगे, साइबर हमलों से सुरक्षा बढ़ेगी, ड्रोन, मिसाइल और रडार जैसी प्रणालियां एक-दूसरे के साथ काम करेंगी और आपदा प्रबंधन में सेना और सक्षम होगी। साथ ही, यह योजना युवा टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स और कॉलेजों को AI, ड्रोन और साइबर तकनीक में शामिल होने का अवसर देगी और “आत्मनिर्भर भारत” को भी बल मिलेगा।
2032 तक सेना का लक्ष्य एक बहु-सेवा (tri‑services) इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड तैयार करना है। इस बदलाव के साथ भारतीय सेना पारंपरिक युद्धक क्षमताओं से आगे बढ़कर डेटा और सूचना युद्ध (information warfare) की दिशा में भी अग्रसर होगी। हालांकि, तेज़ और नेटवर्क-सेंट्रिक सेना को साइबर हमलों, डेटा लीक और हैकिंग के खतरे से भी निपटना होगा। जवानों को नई तकनीक, AI और नेटवर्किंग की ट्रेनिंग भी दी जाएगी, जिससे वे “हाइब्रिड वॉरियर्स” बन सकें।
इस योजना से भारतीय सेना भविष्य में दुनिया की सबसे स्मार्ट और तेज़ सेनाओं में शामिल हो सकती है। यह सिर्फ एक साल की योजना नहीं है, बल्कि आने वाले दशक का रोडमैप है, जो दिखाता है कि भारत भविष्य के युद्ध की तैयारी में तेजी से आगे बढ़ रहा है।