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US President Donald Trump sanctions major Russian oil companies: global energy market in turmoil
DONALD TRUMP: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल, पर कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। इस कदम से वैश्विक ऊर्जा बाजार में हलचल मच गई है, विशेष रूप से उन देशों के लिए जो रूस से सस्ता तेल आयात करते हैं।
भारत और चीन दोनों ही रूस से कच्चे तेल का बड़ा हिस्सा आयात करते हैं। भारत की तेल कंपनियां, जैसे कि रिलायंस और ओएनजीसी, रूस से सस्ता तेल खरीदकर अपने रिफाइनरी संयंत्रों में इसका प्रसंस्करण करती हैं। हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण इन कंपनियों के लिए रूस से तेल आयात करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
चीन भी रूस से लगभग 18% तेल आयात करता है। यदि अमेरिका ने चीन पर भी प्रतिबंध लगाए, तो उसे वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तलाश करनी होगी, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव बढ़ सकता है।
भारत ने अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस से तेल आयात जारी रखने का संकेत दिया है। भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि रूस से तेल आयात उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है और वह इस मामले में अपनी स्वतंत्र नीति अपनाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत और चीन दोनों रूस से तेल आयात में कमी करते हैं, तो वैश्विक तेल आपूर्ति में कमी हो सकती है, जिससे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। इससे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अमेरिका द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने से वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता उत्पन्न हुई है। भारत और चीन जैसे देशों के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, क्योंकि उन्हें वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तलाश करनी होगी। हालांकि, भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए रूस से तेल आयात जारी रखने का संकेत दिया है।
अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, रूस ने अपनी ऊर्जा आपूर्ति को बनाए रखने के लिए "छायादार बेड़े" (shadow fleet) का सहारा लिया है, जो पश्चिमी प्रतिबंधों से बचने के लिए काम करता है। यह रणनीति रूस को वैश्विक ऊर्जा बाजार में अपनी उपस्थिति बनाए रखने में मदद कर रही है।