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AI becomes China's new weapon: Drones will identify the enemy with DeepSeek and attack on their own!
बीजिंग। चीन की सैन्य और सुरक्षा एजेंसियाँ अब घरेलू रूप से विकसित AI मॉडल “DeepSeek” को युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली प्रणालियों जैसे ड्रोन, रोबोटिक डिवाइस और स्वायत्त लड़ाकू वाहन के साथ जोड़ने की दिशा में तेजी से काम कर रही हैं। हाल ही में सामने आए दस्तावेज़, सरकारी टेंडर और पेटेंट रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि करते हैं कि बीजिंग का लक्ष्य ऑटोमेशन बढ़ाकर “डिटेक्ट-डिसाइड-एक्ट” चक्र को बेहद तेज़ बनाना है।
लक्ष्य पहचान और ट्रैकिंग
रिपोर्ट्स के अनुसार, DeepSeek जैसे उन्नत AI मॉडल अब ड्रोन और अन्य मोबाइल प्लेटफॉर्म्स को विजुअल और सेंसर डेटा के ज़रिए लक्ष्य की पहचान व ट्रैकिंग करने की क्षमता दे रहे हैं। यानी अब “देखो और पहचानो” का ज़िम्मा धीरे-धीरे इंसानों से हटकर AI सिस्टम्स पर शिफ्ट हो रहा है।
सिस्टम-ऑफ़-सिस्टम तालमेल
सरकारी पेटेंट्स से यह भी संकेत मिला है कि चीन ड्रोन-स्वार्म, रोबोटिक डॉग्स और जमीनी वाहनों को इस तरह से एकीकृत करना चाहता है कि वे कम से कम मानव हस्तक्षेप के साथ तालमेल से मिशन अंजाम दे सकें।
निर्णय-सहायता और युद्धाभ्यास
कुछ चीनी विश्वविद्यालयों और रक्षा अनुसंधान संस्थानों में DeepSeek का इस्तेमाल युद्धाभ्यास (battle simulation) और ऑटोमेटेड कमांड-लेवल निर्णय प्रणाली के लिए भी किया जा रहा है। इससे कमांडरों को रीयल-टाइम स्थितियों पर आधारित रणनीतिक सुझाव मिलने लगे हैं।
हार्डवेयर निर्भरता और तकनीकी जटिलता
इन स्वायत्त प्रणालियों को चलाने के लिए उच्च क्षमता वाले GPU और प्रोसेसर की आवश्यकता होती है। रिपोर्टों से पता चलता है कि चीन अभी भी कुछ मामलों में अमेरिकी चिप निर्माता Nvidia जैसे विदेशी स्रोतों पर निर्भर है। हालांकि, चीन घरेलू चिप उत्पादन और वैकल्पिक आपूर्ति-श्रृंखलाओं पर तेजी से काम कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रयास तकनीकी आत्मनिर्भरता और निर्यात नियंत्रण नीतियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है।
क्या AI खुद हमला करेगा?
दस्तावेज़ों से स्पष्ट है कि चीन का उद्देश्य युद्ध के निर्णय-चक्र को न्यूनतम समय में पूरा करना है यानी पहचान से कार्रवाई तक। हालांकि, अभी तक के प्रमाण यह नहीं दिखाते कि चीन ने पूरी तरह मानव रहित (human-out-of-the-loop) हमला प्रणाली लागू कर दी है। वर्तमान में अधिकतर प्रयोग मानव-निगरानी (human-in/on-the-loop) मॉडल पर आधारित हैं, लेकिन दिशा स्पष्ट रूप से पूर्ण स्वायत्तता की ओर बढ़ रही है। जो वैश्विक स्तर पर नैतिक और सुरक्षा चिंताओं को जन्म दे रही है।
वैश्विक और नैतिक आशंकाएँ
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ऐसी AI-चालित सैन्य प्रणालियाँ। गलत पहचान के कारण नागरिकों के लिए खतरा बढ़ा सकती हैं, युद्ध के नियमों (LOAC) और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों को चुनौती दे सकती हैं, तथा साइबर और इंटेलिजेंस स्पिलओवर से वैश्विक सुरक्षा संकट गहरा सकती हैं। कई देशों ने पहले ही DeepSeek जैसे मॉडलों के उपयोग को लेकर सुरक्षा आशंकाएँ जताई हैं।
सरकारों और उद्योग की प्रतिक्रिया
चीनी रक्षा ठेकेदारों और टेक कंपनियों ने इस विषय पर सार्वजनिक टिप्पणी से परहेज़ किया है। वहीं, पश्चिमी और एशियाई देशों की कई सरकारें DeepSeek जैसे AI मॉडलों के उपयोग को लेकर सतर्क हो चुकी हैं और अपने संस्थानों में इन टूल्स के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा चुकी हैं।