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बड़ी खबर: ट्रंप की टैरिफ का वैश्विक बाजार पर असर; निवेशकों को याद आया ‘Black Monday’, सेंसेक्स 3000 तो निफ्टी इतने अंक लुढ़का

By: आशीष कुमार
New Delhi
4/7/2025, 1:39:42 PM
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Big news Trump tariff impacts global markets Sensex drops below 3000 and Nifty falls below these many points

नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार आज सोमवार को जबरदस्त गिरावट के साथ खुला। ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंका और अमेरिका में मंदी की बढ़ती चिंताओं के चलते निवेशकों में घबराहट दिखी और जमकर बिकवाली देखने को मिली। इस कारण बाजार के लिए आज सोमवार का दिन ‘ब्लैक मंडे’ साबित हो रहा है।

निफ्टी और सेंसेक्स का बुरा हाल, इतने अंक लुढ़का

बाजार खुलते ही सेंसेक्स 3,939.68 अंक गिरकर 71,425.01 पर पहुंच गया। निफ्टी में भी 1,160.8 अंकों की गिरावट आई और यह 21,743.65 के स्तर पर आ गया। कोविड महामारी के बाद से यह अब तक की सबसे बड़ी ओपनिंग गिरावट मानी जा रही है।

सभी 13 प्रमुख सेक्टर्स में गिरावट दर्ज की गई। खासकर आईटी कंपनियों के शेयरों में 7% की गिरावट आई, क्योंकि इनकी आय का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। मिड-कैप शेयरों में 4.6% और स्मॉल-कैप शेयरों में 6.2% की गिरावट दर्ज की गई। एनएसई निफ्टी ने दिनभर के कारोबार में कुल 1,160 अंक की गिरावट दर्ज की, जो 4 जून 2023 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है।

ट्रंप की टैरिफ का वैश्विक बाजारों पर असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी सरकारों को चेतावनी दी है कि, अगर वे अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ हटवाना चाहती हैं, तो उन्हें इसके बदले “बहुत पैसा” चुकाना होगा। उन्होंने इन टैरिफ को ‘दवा’ बताते हुए जरूरी बताया।

ट्रंप की इस सख्त चेतावनी के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में भी भारी गिरावट देखने को मिली। एशियाई बाजारों में तेज गिरावट रही और अमेरिकी स्टॉक मार्केट फ्यूचर्स ट्रेड भी काफी नीचे चला गया। ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने से ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंका और गहरी हो गई है, जिससे निवेशकों में डर और घबराहट बढ़ गई।

जापान का निक्केई इंडेक्स 8% से ज्यादा टूटा, जबकि टॉपिक्स इंडेक्स में 8.6% की गिरावट दर्ज की गई। गिरावट इतनी तेज थी कि जापानी फ्यूचर्स ट्रेडिंग को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा, क्योंकि सर्किट ब्रेकर ट्रिगर हो गया।

दक्षिण कोरिया के बाजारों में भी बड़ा झटका देखने को मिला। कोस्पी इंडेक्स शुरुआती कारोबार में 4.3% गिर गया, जबकि कोस्डाक इंडेक्स में 3.4% की गिरावट रही। ऑस्ट्रेलिया का ASX 200 इंडेक्स 6% गिरा और यह अब फरवरी की ऊंचाई से 11% नीचे आ चुका है- जिसका मतलब है कि, यह करेक्शन ज़ोन में प्रवेश कर गया है।

अमेरिकी बाजारों में भी भारी दबाव, याद आया ‘ब्लैक मंडे’

इसके आलावा आज सोमवार को अमेरिका में निवेशकों का भरोसा भी डगमगाता नजर आया। डॉव जोंस फ्यूचर्स 979 अंक यानी 2.5% टूट गया। S&P 500 फ्यूचर्स में 2.9% और नैस्डैक-100 फ्यूचर्स में 3.9% की गिरावट आई।

सोमवार को आई इस भारी गिरावट के बीच 1987 में आए ‘ब्लैक मंडे’ की चर्चा भी फिर से शुरू हो गई है। 19 अक्टूबर 1987 को अमेरिका के शेयर बाजार में एक ही दिन में रिकॉर्ड गिरावट देखी गई थी। उस दिन डॉव जोंस इंडेक्स करीब 22% टूट गया था, जो अब तक की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट मानी जाती है।

अमेरिकी शेयर बाजार के इतिहास में यह दिन सबसे काली तारीखों में गिना जाता है, जब S&P 500 और डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज दोनों में 20% से ज्यादा की गिरावट आई थी और बाजार बियर फेज में चला गया था। इस क्रैश की प्रमुख वजह प्रोग्राम ट्रेडिंग और लिक्विडिटी की कमी मानी गई, जिसने गिरावट को और तेज किया। जैसे-जैसे शेयर गिरते गए, ट्रेडिंग वॉल्यूम घटता गया और हालात और बिगड़ते गए।

इसके बाद अमेरिका में सर्किट ब्रेकर सिस्टम लागू किया गया ताकि भविष्य में इस तरह की गिरावट से बाजार को रोका जा सके। मौजूदा सिस्टम के अनुसार, यदि बाजार 7% गिरता है तो ट्रेडिंग 15 मिनट के लिए रोकी जाती है। 13% गिरावट पर दोबारा 15 मिनट का ब्रेक लगता है और यदि गिरावट 20% हो जाती है तो उस दिन की ट्रेडिंग पूरी तरह बंद कर दी जाती है। इस ऐतिहासिक क्रैश का असर न्यूज़ीलैंड तक महसूस हुआ, जहां बाजार अगले पांच महीनों तक गिरता रहा और कुल 60% तक नीचे चला गया।

क्रैमर ने पहले ही दी थी चेतावनी

इसके आलावा 6 अप्रैल, बीते रविवार को अमेरिकी शेयर बाजारों में एक बार फिर बड़ी गिरावट देखी गई। डॉव जोंस फ्यूचर्स 1,405 अंक यानी 3.7% गिर गया। S&P 500 फ्यूचर्स में 4.3% और नैस्डैक-100 फ्यूचर्स में 5.4% की गिरावट दर्ज की गई।

इस बीच, मशहूर बाजार विश्लेषक जिम क्रैमर ने चेतावनी दी कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति नियमों का पालन करने वाले देशों और कंपनियों को प्रोत्साहित नहीं करते हैं, तो 1987 जैसी स्थिति दोहराई जा सकती है, जब शेयर बाजार तीन दिन लगातार गिरने के बाद सोमवार को एक ही दिन में 22% तक टूट गया था।

अब समझिये क्या होता है 'टैरिफ'

टैरिफ एक टैक्स है, जो किसी देश द्वारा दूसरे देश से आयात किए गए सामानों पर लगाया जाता है। जब कोई विदेशी सामान किसी देश में आता है, तो उसके आयातक को यह कर चुकाना पड़ता है। टैरिफ कई प्रकार के होते हैं।

एड वेलोरेम टैरिफ के तहत प्रोडक्ट के मूल्य का एक निश्चित फीसदी, जैसे 10% टैरिफ लगाया जाता है, जबकि स्पेसिफिक टैरिफ के रूप में प्रति यूनिट एक निश्चित राशि, जैसे कि प्रति किलो ₹50 का टैरिफ लगता है। रेसिप्रोकल टैरिफ वह है, जो कोई देश किसी अन्य देश की ओर से लगाए गए टैरिफ के जवाब में लगाता है। ट्रंप ने यही टैरिफ लागू किया है।

अमेरिका ने क्यों किया टैरिफ का एलान

अमेरिका का दावा है कि, टैरिफ से अमेरिका में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार घाटा कम होगा। अमेरिका कई देशों के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार असंतुलन का सामना कर रहा है। खा कर चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा काफी अधिक है। वस्तुओं के व्यापार में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 2023-24 में 35.31 अरब डॉलर रहा था।

भारत पर कितना टैरिफ लगाता है अमेरिका

भारत से अमेरिका निर्यात किए जा रहे उत्पाद जैसे स्टील, एल्युमिनियम और ऑटो पर पहले से ही 25 प्रतिशत टैरिफ लग रहा है। बाकी उत्पादों पर 5-8 अप्रैल के बीच 10 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। इसके बाद 9 अप्रैल से भारत के उत्पादों पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। अमेरिका के टैरिफ वार से 60 से अधिक देश प्रभावित होंगे।

किन सेक्टर्स को टैरिफ से मिली छूट

थिंक टैंक जीटीआरआइ के अनुसार, आवश्यक और रणनीतिक वस्तुओं को टैरिफ से छूट मिली है। जैसे फार्मा, सेमीकंडक्टर, तांबा और ऊर्जा उत्पाद जैसे तेल, गैस, कोयला और एलएनजी।

ट्रंप की टैरिफ का भारत पर कितना असर

भारत सरकार के अधिकारियों के अनुसार, वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 27 प्रतिशत टैरिफ के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है। हालांकि, इसका असर मिला-जुला होगा और यह भारत के लिए बड़ा झटका नहीं है।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता

फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे। उस समय दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने के लिए एक व्यापार समझौते की बात कही थी। दोनों देश समझौते के पहले चरण को इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर तक अंतिम रूप देने के लिए बातचीत कर रहे हैं।

अब समझिये क्या होता है व्यापार समझौता?

व्यापार समझौते में दो व्यापारिक साझीदार देश या तो आयात या निर्यात शुल्क बड़े पैमाने पर घटाते हैं या ज्यादातर उत्पादों पर शुल्क खत्म कर देते हैं। इसके अलावा वे सेवाओं और निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नियमों को आसान बनाते हैं।

सोने के दामों में भारी गिरावट

इसके आलावा अमेरिका के नए टैरिफ लगाए जाने और ट्रेड वार के बढ़ने के कारण 4 अप्रैल 2025 को सोने की कीमतों में भारी गिरावट आई। आज सुबह के समय सोने की कीमत 1600 रुपये कम हो गई, जिससे निवेशकों को बड़ा झटका लगा।

एक्सपर्ट का कहना है कि, निवेशक अन्य प्रभावित एसेट्स में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सोना बेच रहे हैं, जिससे इसकी कीमतों में गिरावट जारी रहने की संभावना है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई, जहां सोना $3163 प्रति ग्राम से गिरकर $3100 प्रति ग्राम पर आ गया। भारत में सोने की कीमतें वैश्विक बाजार दरों, आयात शुल्क, करों और मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती हैं, जो प्रतिदिन इसकी दरों को प्रभावित करते हैं।

दिल्ली-मुंबई में सोने का रेट

सोमवार 7 अप्रैल 2025 को दिल्ली में 22 कैरेट सोने का दाम 83,240 रुपये और 24 कैरेट सोना 90,800 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा। मुंबई में 22 कैरेट सोना 83,090 रुपये और 24 कैरेट सोना 90,650 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है।

चांदी का रेट

सोमवार 7 अप्रैल 2025 को चांदी का रेट 93,900 रुपये रहा। चांदी के भाव में बीते एक हफ्ते में 10,000 रुपये तक की गिरावट आई है।

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