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Big relief to BJP MLA Raimuni Bhagat in the case of controversial remarks on Jesus Christ, court returns the order for reconsideration
जशपुर: ईसा मसीह पर विवादित टिप्पणी के मामले में भाजपा विधायक रायमुनि भगत को जिला और सत्र न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने 6 जनवरी को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा एफआईआर दर्ज करने के आदेश को पुनर्विचार के लिए लोअर कोर्ट को लौटा दिया है।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि इस आदेश को दो प्रमुख आधारों पर चुनौती दी गई थी। पहला, न्यायालय ने विधायक रायमुनि भगत को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया, और दूसरा, लोक प्रतिनिधि होने के बावजूद राज्य सरकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया। सत्र न्यायाधीश मंसूर अहमद ने कहा कि लोअर कोर्ट द्वारा यह आदेश पारित करने से पहले विधायक को पक्ष रखने का अवसर देना आवश्यक था, जैसा कि न्यायिक दृष्टांत "बासानागोड़ा आर पाटील विरुद्ध शिवानंदा एस पाटील" के मामले में हुआ था। उन्होंने आदेश को पुनर्विचार के लिए लोअर कोर्ट को भेजने का निर्देश दिया, और कहा कि विधायक को सुनवाई का अवसर देने के बाद ही निर्णय लिया जाए।
यह मामला उस वक्त सामने आया जब नवंबर 2024 में जिले के ढंगनी गांव में आयोजित सरकारी भवन के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान विधायक रायमुनि भगत के विवादित भाषण का वीडियो वायरल हुआ था। इसमें विधायक ने मसीही समाज के आराध्य प्रभु ईसा मसीह के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। मसीही समाज ने इसे लेकर जिले के विभिन्न पुलिस थाना और चौकियों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन पुलिस ने मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसके बाद ढंगनी निवासी हेरमन कुजूर ने अपर सत्र न्यायालय में परिवाद दायर किया था। 6 जनवरी को अपर सत्र न्यायाधीश ने इस मामले पर आदेश पारित किया था, जिसके बाद यह मामला अब पुनः लोअर कोर्ट में भेजा गया है।
सत्र न्यायालय के इस फैसले से विधायक रायमुनि भगत को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन मामले की अगली सुनवाई के लिए लोअर कोर्ट में अब नई प्रक्रिया शुरू होगी।