Bijapur Niyad Nellnar Yojana changed the picture of Naxal affected areas
बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में अब नक्सलवाद का काला धुँध साफ होने के साथ नक्सल प्रभावित गाँवों में विकास की रोशनी पहुंचने लगी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बीजापुर जिले ग्राम पंचायत धरमारम, जहां आजादी के बाद पहला पक्का आवास बना है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला गुंडी बुचमा का पक्का आवास बनकर तैयार है।
पति की मृत्यु के बाद भी गुंडी बुचमा ने हिम्मत नहीं हारी आतंक और भय के माहौल में उसने अपने बेटे को शिक्षा से जोड़े रखा। वर्तमान में केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना में गुंडी बुचमा का आवास बनकर तैयार है। क्षेत्र में गुंडी बुचमा का आवास आजादी के 77 वर्ष बाद सच्ची आजादी का एहसास करा रही है।
गुंडी बुचमा के आवास की कहानी इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है चूंकि ग्राम पंचायत धरमारम माओवाद से प्रभावित गांव होने के कारण शासकीय योजनाओं का संचालन कठिन था। आजादी के 77 वर्ष बाद भी आंतक और भय में ग्रामीण जीने को मजबूर थे। नक्सल प्रभाव के कारण ग्राम पंचायत में पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं भी ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही थी।
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गुंडी बुचमा एक अकेली महिला जो अपने बच्चे को खेती-बाड़ी कर पालन- पोषण कर रही थी। अपने बच्चे को दूसरे पंचायत में भेज कर 12वीं तक पढ़ाया, जो कि, उनके लिए एक उपलब्धि है। गांव में सुरक्षा कैंम्प लगने के साथ माओवाद का अंधियारा भी छटने लगा। वित्तीय वर्ष 24-25 में ग्राम पंचायत के द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी मिली। शुरूआत में ग्रामीण डर की वजह से आवास निर्माण करने में डर रहे थे। समय के साथ गुंडी बुचमा ने आवास का निर्माण प्रारंभ किया। वर्तमान में उनका पक्का छत वाला आवास बनकर तैयार हो गया है।
गुंडी बुचमा के पुत्र का कहना है कि, माओवाद के डर से किसी तरह झोपड़ी में बिना बिजली, सड़क, पानी के जीवन कट रहा था। अब हमारा पक्का आवास बन गया है। सुरक्षा कैम्प लगने के साथ धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रही हैं। मैं शासन प्रशासन का धन्यवाद करता हूं।
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