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CG NEWS: Entry of Lumpi virus in Chhattisgarh, many cows got infected in Bhilai, veterinary department was shocked, know the symptoms and remedies...
रायपुर। राजस्थान के कोटा से शुरू हुए वायरस का खतरा मध्यप्रदेश के रास्ते अब छत्तीसगढ़ तक पहुंच गया है। बता दें कि यहां भिलाई के सुपेला मे इससे कई गौवंश संक्रमित पाए गए हैं।
वहीं इसकी पुष्टि छत्तीसगढ़ पशु चिकित्सा विभाग ने कर दी है। कुछ दिन पहले ही इसके लक्षण देखने को मिले थे, लेकिन उस दौरान अधिकारियों ने इसे लेकर टालमटोल का रवैया अपनाया था, जिससे कई गौवंश संक्रमित हो गए हैं।
आपको बता दें कि, पांच दिन पहले सुपेला के कुछ जनप्रतिनिधियों ने इसकी जानकारी पशु चिकितत्सा विभाग को दी थी, लेकिन विभाग के अधिकारी इसे टाल रहे थे, लेकिन आज जब गाय, बछड़ों के शरीर में हुए जख्मों से खून रिसने लगा तब जाकर टीम फिर यहां पहुंची। टीम के साथ पहुंचे पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक सुधीर प्रताप सिंह ने लंपी वाययस की पुष्टि भी की।
लंपी वायरस यानी गांठदार त्वचा रोग (LSD) एक विषाणु जनित बीमारी हैं। यह मुख्य रूप से जानवरों को प्रभावित करती है।
बुखार आना, वज़न कम होना,लार निकलना, आंख और नाक से स्राव होना, दूध का कम होना, शरीर पर गांठें बनना, सांस लेने में दिक्कत होना, शरीर कमज़ोर होना, गर्भपात या दूध का कम होना, लंगड़ापन आना
यह वायरस पॉक्सविरिडे फैमिली से संबंधित है, इसे नीथलिंग वायरस भी कहा जाता है। यह वायरस खून चूसने वाले कीड़ों, जैसे मक्खियों, मच्छरों की कुछ प्रजातियों और किलनी से फैलता है। वहीं इस वायरस से संक्रमित जानवरों की त्वचा को स्थायी नुकसान होता है। ज़्यादातर मवेशी इस संक्रमण से उबर जाते हैं और इम्यूनिटी विकसित कर लेते हैं। वहीं इस वायरस से मनुष्यों में संक्रमण नहीं होता।
पशुओं को टीका लगवाएं: लंपी वायरस से बचने के लिए पशुओं को टीका लगवाना चाहिए।लुम्पी-प्रोवैक इंड का टीका लगवाने से करीब एक साल तक सुरक्षा मिलती है।
पशुओं को ताज़ा चारा खिलाएं: संक्रमित पशुओं को पुराना या गला सड़ा चारा न खिलाएं।
पशुओं के रहने की जगह साफ़-सुथरी रखें: पशुओं के रहने वाले बाड़े को साफ़-सुथरा रखें।
पशुओं के परजीवी कीटों को मारें: पशुओं के परजीवी कीटों, मक्खियों, मच्छरों, और किल्ली को मारने के लिए कीटनाशक और बिषाणुनाशक का इस्तेमाल करें।
पशुओं को अलग रखें: संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें।
पशुओं के खाने-पीने के बर्तन अलग रखें: संक्रमित पशु के खाने-पीने के बर्तन को स्वस्थ पशु के बर्तन से अलग रखें।
पशुओं के आवागमन पर रोक लगाएं: संक्रमित क्षेत्र से दूसरे क्षेत्रों में पशुओं के आने-जाने पर रोक लगाएं।
पशुओं के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें: अगर पशुओं को सुस्ती