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CG News Aadhaar operators in Chhattisgarh are on three day strike 2500 Aadhaar centers in the state locked these seven demands from the government
रायपुर। प्रदेश समेत राजधानी में आधार बनाना सोमवार से बंद हो गया है। आधार केंद्र संचालक अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गए हैं। प्रदेश के 2,500 आपरेट 18 नंवबर से तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं, जिसके चलते प्रदेश में आधार पंजीकरण और अपडेट सेवाएं पूरी तरह से बाधित हो गई है।
बता दें कि, आधार आपरेटरों ने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा हैं, जिसमें उन्होंने अपनी मांगों का उल्लेख किया हैं। आधार सेवाएं बंद रहने से आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आधार आपरेटर संघ ने चेतावनी दी है कि, यदि उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं किया गया, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे। इससे आधार सेवाओं में रुकावट आ सकती है।
बता दें कि, आधारकार्ड को अब सभी प्रशासनिक कार्यों में प्राथमिकता दी जा रही है। इसमें बैंक खातों से लेकर अन्य कार्यों को कराने से पहले आधार कार्ड के बारे में पूछा जा रहा है। इस कारण जिन लोगों के आधार कार्ड नहीं बने हैं। वह कार्ड बनाने के लिए भटक रहे हैं, लेकिन सेंटर बंद होने से उनके कार्ड नहीं पा रहे हैं।
आधार ऑपरेटरों का कहना है कि, जनता को हो रही समस्याओं के लिए प्रशासन और UIDAI जिम्मेदार हैं। उनका आरोप है कि, उनकी समस्याओं का समय पर समाधान नहीं किया जा रहा है। बीते सात वर्षों से चिप्स एजेंसी के तहत आधार पंजीकरण और अपडेट का कार्य कर रहे हैं, लेकिन हाल ही में यूआइडी की नई गाइडलाइंस ने उनकी समस्याओं को बढ़ा दिया है। ऑपरेटरों ने चेतावनी दी हैं कि, यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो यह आंदोलन तेज हो सकता है, जिससे आधार सेवाओं में लंबी अवधि तक रुकावट आ सकती है।
1. शासकीय परिसरों में स्थानांतरण का आदेश: UIDAI ने सभी आधार केंद्रों को सरकारी परिसरों में संचालित करने का निर्देश दिया है, लेकिन CHiPS के पास पर्याप्त किट उपलब्ध नहीं हैं।
2. स्वयं की खरीदी किट का मुद्दा: कई ऑपरेटरों ने अपनी खरीदी हुई किट एजेंसी को मुफ्त सौंप दी है, लेकिन उन्हें कोई समर्थन नहीं मिला।
3. लंबित भुगतान: दिसंबर 2022 के बाद से कमीशन का भुगतान रुका हुआ है।
4. चॉइस सेंटर छोड़ने का दबाव: सरकारी परिसरों में केंद्र स्थानांतरित करने के कारण ऑपरेटरों को अन्य कार्य छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है।
5. रोजगार संकट: नई गाइडलाइन्स के चलते ऑपरेटरों को अपने रोजगार के छिनने का डर सता रहा है।
6. अस्पष्ट निर्देश: ऑपरेटरों को एजेंसी या प्रशासन की ओर से स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं।
7. आर्थिक स्थिति बिगड़ने का खतरा: रोजगार संकट के चलते ऑपरेटरों और उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है।