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CG News: As Naxalism weakened in Bastar, these big industrial groups came forward for capital investment...
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में अब नक्सलवाद घुटने टेकने पर मजबूर हो गया है, आये दिन कोई न कोई नक्सली सुरक्षाबल के जवानों द्वारा चलाये जा रहे अभियान या उनकी गोलियों का शिकार बन रहा है। नक्सली संगठन में अब इस बात को लेकर भय बन गया है कि उनका कोई सदस्य किसी जवान की गोली का शिकार न बन जाए।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ सरकार के समन्वय से चलाये जा रहे इस नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत बीते एक सप्ताह के भीतर तक़रीबन 200 से अधिक नक्सलियों ने सरकार के सामने घुटने टेके है, और लाल आतंक का मार्ग छोड़ मुख्य धारा में लौट रहे है।
इन सब के बीच राज्य सरकार जनजातीय क्षेत्रों में बिजली, पानी और शिक्षा जैसे मूलभूत सुविधाएं लोगों को प्रदान करने की कोशिश में लगी हुई है, बता दें कि, यह सब कुछ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हो रहा है। बीजेपी सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में अब तेजी से विकास होता दिखाई दे रहा है, जिसे देखते हुए अब कुछ निजी औद्योगिक कंपनियां भी पूंजी निवेश के लिए प्रोत्साहित हो रही है।
नक्सलवाद के प्रभाव के कारण एक दशक पूर्व प्राकृतिक व खनिज संपदा से धनी बस्तर में टाटा, एस्सार, जिंदल आदि बड़े औद्योगिक समूहों को खनन व स्टील सेक्टर में पूंजी निवेश से पीछे हटना पड़ा था पर अब शांति और विकास के पथ पर बढ़ रहे बस्तर में परिस्थितियां भी तेजी से बदल रही हैं। इससे निजी उद्योगों का बस्तर में पूंजी निवेश को लेकर रुझान बढ़ रहा है।
हाल ही में दंतेवाड़ा के बैलाडीला में लौह अयस्क खनन की तीन और कांकेर के हाहालदी डिपाजिट की नीलामी की गई है। जिसमें देश-दुनिया की 58 कंपनियों ने भाग लिया था। नीलामी में दुनिया की सबसे बड़ी स्टील निर्माता बहुराष्ट्रीय कंपनी आर्सेलर मित्तल ने बचेली भांसी के बीच स्थित लौह अयस्क की दो नई डिपाजिट- 01 ए और 01 बी हासिल की है। डिपाजिट-01 सी रूंगटा स्टील और हाहालदी की डिपाजिट सागर स्टोन को मिली है। ये कंपनियां भी बस्तर में लौह अयस्क खनन का काम करेंगी।
जानकार बताते हैं कि, इन कंपनियों से अगले 50 वर्ष में लौह अयस्क से सरकार को लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति होगी। बता दें कि नक्सली प्रभाव के कारण एस्सार को बैलाडीला में लौह अयस्क खनन और समीप स्थित ग्राम धुरली में स्टील प्लांट और टाटा को लोहंडीगुड़ा में स्टील प्लांट लगाने की योजना को छोड़कर जाना पड़ा था। इन्हें बैलाडीला में लौह अयस्क की माइंस भी आवंटित की गई थी। माना जा रहा है कि बस्तर में नक्सलवाद की समाप्ति के बाद पूंजी निवेश के लिए अधिक संख्या में औद्योगिक इकाइयां सामने आएंगी। जिससे यहां औद्योगिक विकास को गति मिलेगी और रोजगार के अवसरों में काफी वृद्धि होगी।
एस्सार स्टील ने बैलाडीला की लौह अयस्क पहाड़ियों के समीप दंतेवाड़ा के ग्राम धुरली में दो मिलियन टन और टाटा स्टील ने बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा क्षेत्र में पांच मिलियन टन सालाना उत्पादन क्षमता का स्टील प्लांट लगाने लगभग 45 हजार करोड़ रुपये के पूंजी निवेश की योजना पर काम कर रहे थे। टाटा के लिए तो जमीन अधिग्रहण का काम भी लगभग पूरा हो गया था लेकिन प्रशासन द्वारा जमीन का अधिपत्य टाटा को नहीं सौपा जा सका था।
पांच वर्ष से अधिक समय तक प्रतीक्षा के बाद भी जब जमीन का अधिपत्य नहीं मिला तो कंपनी यहां से ओडिशा चली गई और वहां कलिंगनगर में स्टील प्लांट खड़ा कर दिया। इसी तरह एस्सार को भी बस्तर में स्टील प्लांट लगाने का विचार त्यागना पड़ा था। नगरनार में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) द्वारा तीन मिलियन टन सालाना उत्पादन क्षमता का स्टील प्लांट लगाया गया है। जिसका सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। इससे औद्योगिक विकास को गति मिली है और सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है।