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रायपुर। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर साय सरकार नया कानून लाने जा रही है। प्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य कानून में नियमों का उल्लंघन या जबरिया धर्म परिवर्तन कराने वाले को कड़ी सजा का प्रावधान होगा। इस कानून के बाहर जाकर कोई धर्म बदलेगा तो, उसको मान्यता नहीं दी जाएगी। इसके अलावा प्रलोभन या दबाव डालकर धर्म परिवर्तन करने वाले को दोषी मानते हुए उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि, छत्तीसगढ़ में वर्तमान में धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए कोई कानून नहीं है। किसी धर्म के अनुयायी के कहने पर लोग दूसरे धर्म को स्वीकार कर लेते हैं, और उनकी पूजा पद्धति अपनाकर अपने आपको उस धर्म का अनुयायी कहने लगते हैं। इस पर बंदिश लगाने के लिहाज से धर्मांतरण की पूरी प्रक्रिया को एक कानून के कायदे में लाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि, छत्तीसगढ़ का गृह विभाग फिलहाल विभिन्न राज्यों में इस संबंध में बनाए गए नियम कानून का अध्ययन कर रहा है। बताया जा रहा है कि, आठ से दस राज्यों के कानूनों की बारीकियों को ध्यान में रखकर ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश का कानून सबसे मजबूत बताया जा रहा है। इस कारण उत्तरप्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य कानून का बहुत अधिक हिस्सा यहां लिया जाएगा। इसके तहत एक प्रक्रिया बनाने के साथ ही दोषी लोगों को कड़ी सजा देने की प्रक्रिया का खासतौर पर ध्यान दिया जा रहा है।
इसके आलावा छत्तीसगढ़ में फिलहाल 1968 में बनाए गए अधिनियम के प्रावधान ही लागू हैं। बीच में इसको बदलने का प्रयास किया गया था। सन 2006 में तत्कालीन गृहमंत्री रामविचार नेताम ने विधानसभा में धर्मांतरण पर कानून लाया था, लेकिन उस समय के राज्यपाल ने इसको मंजूरी नहीं दी और पूरे विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था। वह कानून आज तक राष्ट्रपति के पास से मंजूर होकर वापस नहीं आया है। इस कारण राज्य में नए सिरे से धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया हाथ में ली गई है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में खासकर बस्तर, जशपुर, रायगढ़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आदिवासियों को ईसाई धर्म में लिया जा रहा है। यह विवाद का विषय बना हुआ है। बस्तर के नारायणपुर क्षेत्र में तो यह गुटीय संघर्ष में तब्दील हो चुका है। आदिवासी और धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों के बीच कई बार गंभीर विवाद हो चुका है। कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है। इस कारण छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसे विवाद को टालने और धर्मांतरण पर एक कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू की है।
धर्मांतरण के खिलाफ पिछले 11 महीने में छत्तीसगढ़ में 13 एफआईआर की जा चुकी है। इसके अलावा बस्तर संभाग में ही धर्मांतरण की अलग-अलग 23 शिकायतें पुलिस को की जा चुकी हैं। यह मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है।