Chhattisgarh government's SLP regarding giving upgraded pay scale to teachers rejected
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान देने के मामले में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डिविजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस एएस ओका और जस्टिस एन. कोटीश्वर सिंह की बेंच ने एसएलपी की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।
यह मामला 2013 से शिक्षकों द्वारा क्रमोन्नत वेतनमान की मांग किए जाने से जुड़ा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने घोषणा की थी कि 10 साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान दिया जाएगा। लेकिन एक साल बाद, शिक्षकों के विरोध के बाद सरकार ने यह आदेश रद्द कर दिया और समतुल्य वेतनमान देने का निर्णय लिया।
इस मामले में शिक्षिका सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान के लिए याचिका दायर की थी, जबकि राज्य सरकार ने इसे रद्द कर दिया था। सोना साहू ने कोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद हाई कोर्ट में कई अन्य शिक्षकों ने भी याचिकाएं दायर कीं। इस फैसले से छत्तीसगढ़ के लगभग 50 हजार शिक्षकों को फायदा होने की उम्मीद थी।
राज्य सरकार ने पहले ही क्रमोन्नति वेतनमान के आदेश को रद्द कर दिया था। इस स्थिति में जब हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया, तो शिक्षकों ने सोना साहू को अपना रोल मॉडल मानते हुए कोर्ट का रुख किया। इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डिविजन बेंच के द्वारा याचिका को खारिज कर दिया।
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