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Coal Levy Scam: The extortion syndicate operated from the Chief Minister's House; ACB chargesheet reveals Jaichand's key role
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल लेवी स्कैम में अवैध वसूली के खेल में जयचंद कोसले की अहम भूमिका सामने आई है। एसीबी (ACB) द्वारा स्पेशल कोर्ट में पेश करीब एक हजार पन्नों की चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि जयचंद की सीधी पहुंच मुख्यमंत्री आवास तक थी और जरूरी फाइलों पर मुख्यमंत्री से हस्ताक्षर कराने का काम वही करता था। चार्जशीट में यह भी दावा किया गया है कि कोल लेवी सिंडिकेट का संचालन सीधे सीएम हाउस से होता था।
एसीबी ने कोल लेवी स्कैम मामले में सौम्या चौरसिया के निज सचिव जयचंद कोसले के खिलाफ विस्तृत चार्जशीट दाखिल की है। जांच एजेंसी का कहना है कि रायपुर नगर निगम में रिकॉर्ड कीपर रहे जयचंद को वसूली के उद्देश्य से सौम्या चौरसिया सीएम हाउस ले गई थीं। सौम्या चौरसिया के कार्यकाल के दौरान जयचंद की पदस्थापना सीएम हाउस में ही रही और उनके निर्देश पर वह अवैध वसूली के लिए जाता था। वसूली के काम के लिए राज्य शासन की ओर से उसे सीजी-02 नंबर की दो सरकारी गाड़ियां भी उपलब्ध कराई गई थीं।
वॉट्सऐप चैट और फाइल मूवमेंट के सबूत
चार्जशीट के अनुसार 25 जून 2019 से 31 जनवरी 2020 के बीच सिंडिकेट के सदस्यों ने लेनदेन का हिसाब रखने के लिए वॉट्सऐप ग्रुप बनाए थे। वॉट्सऐप चैटिंग का हवाला देते हुए एसीबी ने बताया कि सौम्या चौरसिया ने अनिल टुटेजा को एक संदेश में लिखा था— “चेक करके तुरंत वापस करवा देना। जय सीधे CM के पास ले जाकर साइन करवा देगा।”
एसीबी अफसरों के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री निवास से जुड़ी संवेदनशील जिम्मेदारियां—जैसे महत्वपूर्ण फाइलों का मूवमेंट, सुरक्षित परिवहन और मुख्यमंत्री से हस्ताक्षर करवाना—नियमित रूप से जयचंद से कराई जाती थीं।
253 करोड़ से अधिक की वसूली, संपत्तियों में निवेश
जांच में सामने आया है कि एफआईआर के अनुसार 2020 से 2022 के बीच कोयला लेवी सिंडिकेट पर 540 करोड़ रुपये की उगाही का आरोप था, जबकि EOW-ACB की जांच में 253 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की पुष्टि हुई है। जांच एजेंसी के मुताबिक ट्रांसपोर्टरों और उद्योगपतियों को धमकाकर गैर-कानूनी तरीके से वसूली की गई और उगाही की रकम का बंटवारा सिंडिकेट के सदस्यों में हुआ। इस अवैध रकम का इस्तेमाल प्रॉपर्टी खरीदने में भी किया गया।
किसे कितनी रकम मिलने का दावा
चार्जशीट में हिस्सेदारी का विवरण भी दिया गया है—
सौम्या चौरसिया: 36 करोड़ रुपये
नेताओं को: 52 करोड़ रुपये
छत्तीसगढ़ के विधायक: 10 करोड़ रुपये
झारखंड: 5 करोड़ रुपये
बेंगलुरु: 4 करोड़ रुपये
बेनामी संपत्ति (आरोपियों से जुड़ी): 170 करोड़ रुपये
कोडवर्ड में होती थी बातचीत
सिंडिकेट के वॉट्सऐप ग्रुप में कोडवर्ड का इस्तेमाल किया जाता था। कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव के लिए ‘D’, अफसर रानू साहू के लिए ‘RS’, मनीष उपाध्याय ‘MU’, ‘JAI’ (सौम्या चौरसिया का निज सहायक), ‘Sameer TSG’ (आईएएस समीर विश्नोई), ‘Bhoj’ (भोजराम पटेल), ‘Bhagat’ (अमरजीत भगत), ‘RP’ (आरपी सिंह), ‘Vinod’ (विनोद तिवारी), ‘JP’ (जेपी मौर्य), ‘Neetu’ (नवनीत तिवारी), ‘Abhi Ji’ (अभिषेक चौबे), ‘Kunjam’ (आईएएस कुंजाम), ‘Anurag’ (अनुराग चौरसिया), ‘Ami’ (अमित चौरसिया), ‘Minj’ (यूडी मिंज), ‘Gandhi’ (इदरिश गांधी), ‘Bhati’ (पियूष भाटिया), ‘Chandr’ (चंद्रदेव राय), ‘Vrishaspati’ (वृहस्पति सिंह), ‘Annu’ (प्रवेश दुबे) जैसे कोड नामों का प्रयोग होता था। रकम के लिए ‘गिट्टी’ (करोड़) और ‘रेती’ (लाख) जैसे शब्द इस्तेमाल किए जाते थे।
222 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच, कई गिरफ्तारियां
कोल लेवी स्कैम में जांच एजेंसी ने 222 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी अटैच की है। इस मामले में 35 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया है, जबकि 15 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। गिरफ्तार आरोपियों में निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, सुनील अग्रवाल सहित अन्य शामिल हैं।
प्रति टन वसूली का पूरा खेल
चार्जशीट के अनुसार कोल ट्रांसपोर्टरों के अलावा कोल वाशरी संचालकों से भी कमीशन वसूला जाता था। कोल वाशरी संचालकों से 100 रुपये प्रति टन और कोल वाशरी से कोयला निकलने पर 25 रुपये प्रति टन अतिरिक्त ट्रांसपोर्टिंग शुल्क लिया जाता था। यानी कोल कारोबारियों को दो बार कमीशन देना पड़ता था।
एसीबी के मुताबिक वसूली के लिए सिंडिकेट ने कोरबा और रायगढ़ में अलग-अलग कार्यालय भी खोल रखे थे।