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Delhi High Court's decision: Investments and profits from bribery will also be considered as criminal proceeds under money laundering
BREAKING NEWS: दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि रिश्वत से कमाई गई रकम को शेयर बाजार या किसी अन्य निवेश में लगाने पर जो मुनाफा होता है, उसे भी अपराध से अर्जित आय माना जाएगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि चाहे मूल राशि बढ़ जाए, उसका अवैध स्रोत “शुद्ध” नहीं हो जाता। इस फैसले में न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने मनी लॉन्ड्रिंग को केवल अवैध धन अर्जित करने तक सीमित नहीं माना, बल्कि इसके लेन-देन और निवेश को भी शामिल किया।
मामला उस अपील से जुड़ा था जिसमें Enforcement Directorate (ईडी) ने फतेहपुर कोल ब्लॉक आवंटन मामले में लगभग 122.74 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी। आरोप था कि कंपनी प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने कोल ब्लॉक आवंटन में धोखाधड़ी की और शेयरों की गलत जानकारी देकर उनके मूल्य को बढ़ाया। ईडी ने एकल जज के फैसले को चुनौती दी थी, और हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सम्पूर्ण राशि पीएमएलए के तहत जब्ती योग्य होती है।
अदालत ने उदाहरण देकर समझाया कि यदि कोई सरकारी अफसर रिश्वत ले और उसे शेयर बाजार, रियल एस्टेट या अन्य निवेश में लगाता है, तो न सिर्फ मूल राशि बल्कि निवेश के बाद बढ़ी हुई रकम भी अपराध से अर्जित मानी जाएगी। यह साबित करता है कि मनी लॉन्ड्रिंग केवल अवैध धन अर्जित करने की शुरुआत तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें उस धन के लेन-देन और अर्थव्यवस्था में सम्मिलित होने तक का दौर शामिल है।
इस फैसले का महत्व यह है कि अब रिश्वत या अवैध धन से हुए निवेश और उससे होने वाले मुनाफे को कानूनी दृष्टि से “शुद्ध” नहीं माना जाएगा। इससे भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में संपत्ति जब्ती और जांच को और मजबूत किया जा सकेगा। अधिकारी और कंपनियां अब सतर्क रहेंगी कि अवैध स्रोत से मिली रकम का निवेश कभी भी कानूनी तौर पर सुरक्षित नहीं होगा।