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Deputy Collector Preetesh Rajput accused of demanding bribe, investigation begins
मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में तैनात डिप्टी कलेक्टर प्रीतेश राजपूत पर एक राइस मिलर ने 15 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगाया है। इस मामले में आरोप लगाने वाले राइस मिल के संचालक नजीर अहमद ने बताया कि केल्हारी में संचालित कोरिया मिनी राइस मिल के निरीक्षण के दौरान प्रीतेश राजपूत ने मिल को सील कर दिया था और बाद में खुलने पर धान की कमी का हवाला देकर उनसे पैसे की मांग की।
राइस मिल संचालक ने आरोप लगाया है कि जब प्रीतेश राजपूत केल्हारी के प्रभारी एसडीएम थे, तब उन्होंने मिल का भौतिक सत्यापन किया और 100 क्विंटल से अधिक धान की कमी बताते हुए मिल को सील कर दिया। इसके बाद जब मिल को खोला गया, तो प्रीतेश राजपूत ने कहा कि अब एक हजार क्विंटल धान कम है और इसके एवज में 15 लाख रुपये की मांग की।
संवाद के दौरान प्रीतेश राजपूत ने नजीर अहमद को यह भी धमकी दी कि अगर धनराशि नहीं दी गई, तो वह एफआईआर करवा देंगे। इस मामले की जानकारी मिल संचालक ने इलाके के मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को दी, जिन्होंने कलेक्टर को इसकी जांच के निर्देश दिए।
राइस मिल संचालक ने इस मामले की बातचीत के ऑडियो और वीडियो भी प्रस्तुत किए हैं, जिनमें यह स्पष्ट दिखता है कि पैसे की मांग की जा रही थी। नजीर अहमद ने कहा कि प्रीतेश राजपूत ने नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक प्रदीप खम्परिया के माध्यम से उन्हें बुलाया और वहां भी सीधे 10 लाख रुपये की मांग की। उन्होंने एक रुपये भी नहीं दिए और पूरी घटनाक्रम की जानकारी कलेक्टर राहुल वेंकट को दी।
कलेक्टर राहुल वेंकट ने इस मामले में प्रीतेश राजपूत को बचाते हुए उन्हें तत्काल केल्हारी एसडीएम के पद से हटाकर भरतपुर का जनपद CEO बना दिया। वहीं, नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक प्रदीप खम्परिया के खिलाफ प्रतिवेदन बनाकर विभाग को भेज दिया गया, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।
हालांकि, नजीर अहमद ने कहा कि प्रदीप खम्परिया जिम्मेदार नहीं हैं और उन्हें प्रीतेश राजपूत के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग है। इस पर मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि जब उन्हें इस शिकायत की जानकारी मिली, तब उन्होंने तत्काल कार्रवाई की।
अपर कलेक्टर का बयान
अपर कलेक्टर अनिल सिदार ने जानकारी दी कि डिप्टी कलेक्टर प्रीतेश राजपूत से इस मामले में जवाब मांगा गया है। यह मामला अब जिले में प्रशासनिक कार्रवाई और सख्त निगरानी का विषय बन गया है, जिससे निश्चित ही लोक सेवकों के कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।