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Due to these reasons foreign tourists are no longer coming to Goa there has been a huge drop of 80 percent in their number
गोवा। दशकों से देसी और विदेशी पर्यटकों के लिए टूरिस्ट स्पॉट रहे गोवा से अब विदेशी पर्यटक रूठे नजर आने लगे हैं। अपने साफ और स्वच्छ समुद्र तटों से लेकर अलग अलग सांस्कृतिक मिश्रण के कारण विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले गोवा में साल दर साल भारी संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। साल 2019 की तुलना में साल 2023 में यहां विदेश पर्यटकों की संख्या में 80 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
डाटा के अनुसार, साल 2019 में गोवा में लगभग 85 लाख विदेशी पर्यटक आए थे, लेकिन 2023 तक यह संख्या घटकर मात्र 15 लाख रह गई। पिछले 10 साल के डाटा के अनुसार, 2014 में 60 लाख, 2015 में 65 लाख, 2016 में 70 लाख, 2017 में 75 लाख, 2018 में 80 लाख और 2019 में 85 लाख, कोरोना काल यानि 2020 में 2 लाख, 2021 में 5 लाख और 2022 में 12 लाख विदेशी पर्यटक गोवा पहुंचे थे।
CEIC के डाटा के अनुसार, गोवा में विदेशी पर्यटकों की संख्या में गिरावट के बीच भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। गोवा में साल 2014 में 55 लाख, 2015 में 60 लाख, 2016 में 65 लाख, 2017 में 70 लाख, 2018 में 75 लाख और 2019 में 80 लाख पर्यटक गोवा पहुंचे थे। हालांकि, 2020 में यह संख्या 30 लाख, साल 2021 में 40 लाख और 2022 में 60 लाख और 2023 में 80 लाख पर पहुंच गई।
रिपोर्ट में गोवा में भारतीय पर्यटकों की संख्या में भी कमी होने की आशंका जताई गई है। दावा है कि गोवा में हर साल रूस और ब्रिटेन से आने वाले पर्यटक अब श्रीलंका की ओर जा रहे हैं। भारतीय पर्यटक अब भी गोवा पहुंच रहे हैं, लेकिन जल्द ही वो भी यहां आना छोड़ देंगे। इसका कारण है कि गोवा में पर्यटकों का शोषण किया जा रहा है, जबकि विदेशों में तुलनात्मक रूप से कई सस्ते स्थान हैं।
गोवा में विदेशी पर्यटकों की कमी का कारण वहां टैक्सी माफियाओं की मनमानी है। टैक्सी संचालक पर्यटकों से मनमाना किराया वसूल करते हैं और उन्हें परेशान भी करते हैं। हाल ही में एक जर्मन पर्यटक को 37 किलोमीटर की सवारी के लिए 1,800 रुपये चुकाने पड़े थे। इसी तरह किराए पर कार लेकर किसी को लिफ्ट देने पर भी टैक्सी माफिया लोगों से झगड़ा करने पर उतारु हो जाते हैं। यह स्थिति विदेशी पर्यटकों को परेशान कर रही है।
विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी का दूसरा बड़ा कारण वहां ऑलनाइन टैक्सी सेवाओं की कमी होना भी है। ओला और उबर की कमी से पर्यटकों को स्थानीय टैक्सियों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस वजह से उन्हें किराया ज्यादा देना होता है। साल 2014 में ओला ने गोवा में अपनी लॉन्चिंग का प्रयास भी किया था, लेकिन वहां की मजबूत टैक्सी यूनियनों की हड़ताल के कारण सरकार को ऐप पर प्रतिबंध लगाने पर मजबूर होना पड़ा था।
गोवा में टैक्सी के अलावा, होटल, खाना आदि भी काफी महंगा है। नवंबर से फरवरी के बीच यहां कीमतें तीन गुना बढ़ जाती है। ऐसे में विदेशी पर्यटकों को यहां आना काफी महंगा सौदा साबित होने लगा है। यह स्थित आगे और बिगड़ सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, रूस-यूक्रेन संघर्ष तथा इजरायल और फिलिस्तीन के बीच अशांति के कारण इन क्षेत्रों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है। पहले गोवा में रूस से प्रतिदिन करीब 5 चार्टर उड़ानें आती थीं, लेकिन अब प्रति सप्ताह कुछ ही उड़ानें आती हैं। इसी प्रकार, इजरायली-हमास युद्ध के कारण वहां से आने वाली अधिकतर उड़ानें भी निलंबित कर दी गई है। ऐसे में पर्यटक चाहकर भी नहीं पहुंच पा रहे हैं।
कई भारतीय पर्यटकों का कहना है कि वो अब गोवा जाने के बजाए दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में जाना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं। इन देशों में थाईलैंड, कम्बोडिया, वियतनाम जैसी जगह शामिल हैं। एक पर्यटक का कहना है कि कई लोग अब गोवा को ओवर टूरिज्म प्लेस समझने लगे हैं। दूसरी ओर दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में खर्चा कम आता है, बेहतर ट्रांसपोर्ट मिलता है और काफी कुछ नया देखने को भी मिलता है।