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Flood of faith on New Year: Crowd of devotees gathered in the temples of Ayodhya, Kashi and Mathura.
नई दिल्ली। विघ्नहर्ता भगवान शिव को समर्पित बुधवार के पावन पर्व पर सनातन संस्कृति ने पाश्चात्य नववर्ष की परंपरा को अपनाया। अयोध्या, काशी, मथुरा, प्रयागराज, उज्जैन और सीकर जैसे विभिन्न पवित्र स्थानों पर अपने आराध्य देवों से आशीर्वाद पाने की उत्सुकता और उत्साह चरम पर रहा। हर जिले, कस्बे और मोहल्ले में मंदिरों में श्रद्धालु श्रद्धा से नतमस्तक नजर आए। सनातन के असंख्य अनुयायियों ने हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या रामचरितमानस के अखंड पाठ के जरिए बीते साल को विदाई देकर नए साल का स्वागत किया।
बता दें कि, राम जन्मभूमि पर भगवान की स्थापना के बाद इस साल के पहले दिन रामलला के दर्शन के लिए सुबह से ही भक्तों की कतार लगी रही, जो देर रात तक जारी रही। अयोध्या की पावन भूमि और सरयू नदी का नजारा वैसे तो हर साल श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है, लेकिन इस साल लंबे समय से प्रतीक्षित गंतव्य की पूर्ति के बाद उत्साह चरम पर पहुंच गया। हर कोई नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला के दर्शन को आतुर था। श्री काशी विश्वनाथ धाम में नववर्ष के पहले दिन मंगला आरती के बाद पूजा-अर्चना शुरू हुई, जिसमें देर रात शयन आरती तक 'ओम नमः पार्वती पतये, हर-हर महादेव' के जयकारे गूंजते रहे। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी के यहां सुबह पट खुलने से पहले ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। नववर्ष के पहले दिन बुधवार को देशभर से चार लाख से अधिक श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे।