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Error in the decision of single bench of High Court in contempt case division bench stayed the order
बिलासपुर। हाईकोर्ट जज नरेन्द्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच द्वारा अवमानना मामले में किए गए दो अलग-अलग आदेशों के विरुद्ध पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की गई। जिसके बाद जज रजनी दुबे एवं जज संजय जायसवाल की डिवीजन बेंच द्वारा दोनों मामलों में जज नरेन्द्र कुमार व्यास द्वारा दिए गए आदेशों में त्रुटि पाते हुए स्टे दिया गया है।
पहला मामला सरपंच की न्युक्ति को लेकर है, जिसमे सिंगल बेंच ने सरपंच को हटाने का आदेश दे दिया था। लेकिन डिवीजन बेंच ने कहा कि, ऐसा आदेश जारी नहीं किया जा सकता क्योंकि सरपंच पूर्ण बहुमत के साथ निर्वाचित हुआ था।
कुछ दिनों पहले हाईकोर्ट ने राजस्व अभिलेखों के सुरक्षित नहीं रखने के मामले में तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार जयशंकर उरांव, रीडर एन के पांडे और जमीन खरीददार सुरेन्द्र बहादुर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया था।
जानकरी के अनुसार ग्राम पौंसरा की 2.15 एकड़ जमीन की खरीदी बिक्री 2013-14 में की गई थी। उस दौरान इस पर काफी विवाद हुआ था। बाद में मामला शांत हो गया और जमीन का नामांतरण भी कर दिया गया। नामांतरण आदेश में तात्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार जय शंकर उरांव के हस्ताक्षर हैं। बाद में पेखन लाल शेंडे ने पक्षकार बनते हुए पूरी रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण आदेश के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपि उपलब्ध कराने के लिए 31अगस्त 2024 को तहसील बिलासपुर में आवेदन लगाया। कई बार चक्कर काटने के बाद भी नकल की कापी नहीं मिली तो पेखन लाल शेंडे ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने आवेदक को पूरे प्रकरण के दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश दिए लेकिन इसके बाद भी तहसील आफिस से कोई जवाब नहीं दिया गया।
समय सीमा बीतने के बाद पेखन लाल शेंडे ने हाईकोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की। कोर्ट ने मामले में एसडीएम बिलासपुर पियूष तिवारी, तहसीलदार अतुल वैष्णव, तहसीलदार मुकेश देवांगन को अवमानना नोटिस जारी किया। जवाब में अधिकारियों ने दस्तावेज से जुड़े रिकार्ड सौंपने के लिए समय की मांग की। हाईकाेर्ट ने समय देते हुए हर हाल में 24 अक्टूबर को रिकार्ड कोर्ट में पेश करने कहा था। इसके बाद पूरी राजस्व की टीम 15 दिनों तक दस्तावेज खोजती रही। रिटायर रीडर एनके पांडे को भी बुलाया गया। इसके बाद भी उस प्रकरण के रजिस्ट्री और नामांतरण संबंधित एक भी दस्तावेज नहीं मिला।
अधिकारियों ने इस आशय का जवाब भी कोर्ट में पेश किया कि तहसील आफिस से पूरे रिकार्ड गायब है। इसके साथ ही जवाब पेश किया गया कि रिटायर रीडर एनके पांडे के खिलाफ लापरवाही के मामले में एफआईआर कराने के लिए सिविल लाइन थाने में शिकायत की जा रही है। जस्टिस एनके व्यास की कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि सिर्फ रीडर ही क्यों मामले में तहसीलदार भी तो दोषी हैं। नामांतरण में कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ी है तभी तो पूरी फाइल गायब है। नामांतरण आदेश पर तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार जयशंकर उंराव के साइन भी हैं। इसके साथ ही जमीन खरीददार सुरेन्द्र बहादुर सिंह के खिलाफ भी एफआईआर कराने कहा गया।
लेकिन अब इस मामले में डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने आज (गुरुवार) शाम रोस्टर में बदलाव कर दिया है। अवमानना के मामले अब जस्टिस अरविन्द कुमार वर्मा की सिंगल बेंच में सुने जायेंगे।