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Final battle against Naxalism Security forces opened two new camps in the areas adjoining his village to surround Naxal commander Hidma
जगदलपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने के ऐलान के बाद नक्सल विरोधी अभियान में जबरदस्त रफ़्तार दर्ज की जा रही है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में नक्सलवाद की कमर तोड़ने के लिए सुरक्षा बल बड़े नक्सलियों को लगातार निशाना बना रहे हैं। कुख्यात नक्सली हिड़मा को घेरने नक्सलियों के सबसे मजबूत आधार दंडकारण्य के इस क्षेत्र में दो नये कैंप सुकमा के तुमालपाड़ व बीजापुर के कोंडापल्ली में खोले गए हैं। यह दोनों कैंप हिड़मा के गांव पूवर्ती से आगे खोले गए हैं। इस वर्ष की शुरुआत में फरवरी माह में सुरक्षा बल ने पूवर्ती व टेकुलगुड़ेम में नया कैंप खोला गया था। अब इससे भी दो कदम आगे बढ़ते हुए नये फारवर्ड आपरेटिंग बेस (एफओबी) पिछले एक सप्ताह के भीतर स्थापित कर लिए गए हैं। इस वर्ष पूवर्ती आसपास के क्षेत्र में लगभग आधा दर्जन कैंप स्थापित किए गए हैं।
इस वर्ष सुरक्षा बल के निशाने पर बड़े नक्सली रहे हैं। अब तक 197 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया है। इसमें 30 से अधिक शीर्ष नक्सली नेता हैं। दंडकारण्य स्पेशनल जोनल कमेटी सदस्य रणधीर, नीति, रुपेश उर्फ कोलू जोगन्ना को मार गिराने के अलावा डिविजनल कमेटी स्तर के नक्सली विनोद, नागेश, सागर, संगीता, लक्ष्मी, जोगा सहित 16 से अधिक बड़े नक्सलियों को मुठभेड़ में मार कर नक्सलियों की कमर तोड़ दी गई है। यही वजह है कि, नक्सलियों में अब आपसी फूट की खबरे भी सामने आने लगी है। इसी बीच सुरक्षाबल अब हिड़मा को घेरने की तैयारी में हैं। पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया कि नक्सलियों के कोर क्षेत्र में सुरक्षा व विकास के लक्ष्य के अनुसार नये स्तर कैंपों की स्थापना की गई है। यहां से नक्सलियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान को तेज किया जाएगा। नक्सलियों के प्रभाव में लंबे समय तक रहने के कारण पिछड़ चुके क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी की सुविधा पहुंचाना प्राथमिक लक्ष्य है।
बीजापुर व सुकमा जिले के सीमा व तेलंगाना व आंध्रप्रदेश की सीमा से सटा यह क्षेत्र बड़े नक्सलियों का ठिकाना रहा है। दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य सहित सात से आठ सेंट्रल कमेटी स्तर के नक्सलियों की उपस्थिति की जानकारी मिलती रहती है। गणपति, वसव राजु, देवजी, कोसा, अल्लूरी कृष्णा पदमा सहित कई बड़े नक्सली इस क्षेत्र को अपना सुरक्षित ठिकाना बनाकर रखे हुए थे। सुरक्षा की जिम्मेदारी हिड़मा के पास है। वह नक्सलियों की बटालियन नंबर एक का कमांडर है। अब उसे केंद्रीय समिति में शामिल कर लिए जाने की भी जानकारी मिल रही है। पहले हिड़मा का ठिकाना पूवर्ती था। वहां कैंप खोले जाने से अब तुमलपाड़, जब्बागट्टा व रायगुड़ा क्षेत्र में ठिकाना बना लेने की जानकारी है।
हिड़मा का जन्म दक्षिण सुकमा (South Sukma)के पुवार्ती गांव में हुआ था। वो बीजापुर (Bijapur) में एक स्थानीय जनजाति से संबंध रखता है। कहा जाता कि माडवी हिड़मा साल 1996 से नक्सलियों से जुड़ा और तबसे कई निर्दोष लोगों की जान ले चुका है। वो माओवादियों की पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PGLA) बटालियन-1 का हेड है। हिड़मा माओवादी स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZ) का सदस्य भी है। इसके साथ ही सीपीआई (माओवादी) की 21 सदस्यीय सेंट्रल कमेटी का सदस्य भी है। बता दें कि नक्सली कमांडर हिड़मा को सुरक्षा बलों के खिलाफ उसके अभियानों के लिए जाना जाता है।
हिड़मा साल 2004 से अब तक 27 से अधिक हमलों में शामिल रहा है। इसमें 2013 का झीरम (Jhiram Ghati Attack) और 2021 का बीजापुर हमला (Bijapur attack) भी शामिल है। अप्रैल 2017 के बुर्कापाल (Burkapal naxal attack) में सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हो गए थे। दंतेवाड़ा हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। राज्य पुलिस के मुताबिक, दंतेवाड़ा हमले में भी हिड़मा ने सामने से नेतृत्व किया था।
बस्तर के अंदरुनी इलाकों में नक्सली खेती भी करते हैं। खुद के लिए अन्न और तेंदूपत्ता उगाते हैं। नक्सलियों के खेती करने की खबरें तो पहले भी सामने आ चुकी हैं, लेकिन इस बार पूवर्ती गांव में PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) के खेत की पहली तस्वीर सामने आई है। दावा किया जाता है कि यह खेत हिड़मा का है।