If you ask me I will say it Sura lovers should give civic felicitation to such an MLA Chaitanya Bhatt
लोग बात कहते हैं कि राजनेताओं को जनता की चिंता नहीं रहती एक बार जब वे चुनाव जीत जाते हैं फिर जनता के हाल क्या है उससे उनका कोई लेना देना नहीं होता, लेकिन कर्नाटक विधानसभा में जनता दल सेक्युलर के एक विधायक "एमपी कृष्णा" ने अपने प्रदेश के शराब प्रेमियों की भारी चिंता करते हुए विधानसभा में मांग कर दी कि सरकार महिलाओं को हर महीने दो हजार रुपए दे रही है ,मुफ्त में बिजली दे रही है, फ्री फोकट में बस यात्रा करवा रही है जब महिलाओं पर इतनी कृपा है तो फिर शराब प्रेमियों से इतनी नफरत क्यों ?
आफ्टर आल वे भी आखिर इंसान है और आपका खजाना भरने में उनका बहुत बड़ा योगदान है, अगर ये ठान लें कि उन्हें दारू नहीं पीना है तो देखते देखते आपके खजाने की वाट लग जाएगी और आप किसी को पंजी भी नहीं दे पाएंगे, इसलिए उन्होंने विधानसभा में खुले आम इस बात की मांग कर दी कि, प्रदेश में जितने भी दारू खोर है उनको हर हफ्ते में "दो बोतल शराब" सरकार की तरफ से मिलना चाहिए। सारी सुविधाएं क्या सिर्फ महिलाओं के लिए है पुरुषों का भी कुछ ना कुछ अधिकार तो है और फिर उनके लिए भी तो कुछ न कुछ करना बहुत ही जरूरी है जिनके दम पर सरकार का सारा बजट निर्भर करता है।
उनका कहना है कि, जिस दिन दारूखोर दारू पीना बंद कर देंगे सरकारें दाने दाने को मोहताज हो जाएंगी इसलिए ऐसे लोगों के लिए सरकार को कुछ न कुछ सोचना होगा और इसका सबसे सरल उपाय है कि हर पीने वाले को हर हफ्ते दो बोतल सरकार की तरफ से दी जाए। कितनी सहानुभूति है इस विधायक को शराब प्रेमियों से, अब ये शराब प्रेमियों का कर्तव्य है कि ऐसे विधायक को जिंदगी में कभी ना चुनाव हारने दें वो जहां से भी उम्मीदवारी दर्ज करें वहां एक तरफा जीत दिलाने में ये शराब प्रेमी अपनी पूरी की पूरी जान लगा दे।
ऐसे महान विधायक का नागरिक अभिनंदन करने पर भी विचार इन शराब प्रेमियों को करना चाहिए क्योंकि कोई तो है जो उनकी सुध ले रहा है वरना सरकारें तो एक तरफ पिलाती हैं और दूसरी तरफ अगर कोई पिए हुए सड़क पर मिल जाता है तो उस पर कार्यवाही उसे कर देती है। भाई जब आप पिला रहे हो और सामने वाला पी रहा है तो पी के कहीं ना कहीं तो जाएगा दुकान में भी पिएगा तो घर तो जाएगा अब रास्ते में आप उसको पकड़ लो ये तो नाइंसाफी है।
कर्नाटक के सुरा प्रेमियों को अपनी एक ही सलाह है कि, इस विधायक को हर तरफ से बधाई संदेश और आशीर्वाद भेजिए और ईश्वर से प्रार्थना कीजिए कि,विधानसभा में यह मुद्दा पास हो जाए और हर हफ्ते दो बोतल फ्री फोकट में मिलने लगें। वैसे इन महान विधायक की बात में दम तो है जब सबको बांट रहे हो तो फिर दारु प्रेमियों को क्यों डांट रहे हो, वे भी आपके ही प्रदेश के नागरिक है उनका भी आप पर उतना ही अधिकार है जितना महिलाओं का है, उन्होंने भी उतने ही वोट दिए हैं जितने महिलाओं ने दिए होंगे तो फिर सिर्फ महिलाओं के लिए ही इतनी दरिया दिली क्यों दिखाई जा रही है उनके प्रति भी तो थोड़ी बहुत सोच रखना चाहिए सरकारों को, शायद यही कारण है के इन विधायक महोदय ने ऐसी मांग कर डाली।
अपने को तो लगता है कि, ये विधायक जी भी पहले कभी शराब प्रेमी रहे हों हो सकता है अब ना पीते हो क्योंकि शराबियों के प्रति इतनी सहानुभूति वही रख सकता है जो खुद गले में पैग उड़ेलता होगा, वरना समाज तो इनको हेय दृष्टि से देखता है वैसे अगर सरकार हर हफ्ते दो बोतल देने में असमर्थ है तो हर दारुखोर से पूछ ले कि वो महीने में कितनी दारू "कंज्यूम" करता है उस हिसाब से उनको बांट दो ,एक बात और बतला दें हम कर्नाटक सरकार को, कि जो भी दल ये घोषणा कर देगा वो ताजिंदगी सत्ता के सिंहासन पर बैठा ही रहेगा इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है।
एक खबर अखबार में आई है कि देश की सबसे चर्चित जांच एजेंसी 'ईडी" जो कहीं भी छापा मार देती है उसने पिछले दस वर्षों में सांसदों विधायकों और नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किए थे जिनकी संख्या ,193 बताई जाती है लेकिन मजे की बात है कि इन 193 केसों में से सिर्फ और सिर्फ दो मामलों में ही दोष सिद्ध हो पाया है।
लोग बात कह रहे हैं कि, ये कैसी ईडी है 193 केस दर्ज किए हैं और सिर्फ दो में दोष सिद्ध हो पाया ,तो भैया ये भी तो सोचो कि, इस एजेंसी ने उनके खिलाफ केस दर्ज किए थे जो सरकार चलाते हैं सांसद थे, विधायक थे, नेता थे इन शक्तिशाली लोगों से कौन सी जांच एजेंसी पंगा ले सकती है, फॉर्मेलिटी करना है तो कर लेती है उसको भी मालूम है कि रहना उनके ही अंडर में है आज ये हैं तो कल दूसरे आ जाएंगे परसों फिर ये आ जाएंगे इसलिए इन सब से दुश्मनी मोल लेना ठीक नहीं है, लेकिन जब एजेंसी बनी है तो कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा सो दर्ज कर लेते हैं अखबारों में बड़ी-बड़ी खबरें छप जाती है कि, अमुक अमुक के खिलाफ ईडी ने केस दर्ज कर लिया लेकिन आम जनता को भी अच्छे से मालूम है कि, किसी का कुछ नहीं बिगड़ने वाला, ईडी भी जानती है कि, हम भले ही केस दर्ज कर ले लेकिन उसे अंजाम तक नहीं पहुंचा पाएंगे और जो ज्यादा उठा पटक करने की सोचेगा उसको यहां से वहां उठाकर पटक दिया जाएगा इसलिए एजेंसी को दोष देने से कुछ नहीं होने वाला।
सांसद, विधायक, नेता तो कलयुग में भगवान माने जाते हैं पांच साल जनता उनके दरवाजे पर हाथ जोड़कर खड़ी रहती है अब जो इतने पावरफुल हैं उनका
ईडी, सीबीआई या इनकम टैक्स कुछ नहीं बिगाड़ सकती कितने ही मामले अखबारों की सुर्खियां बनते हैं लेकिन उनका अंत क्या होता है ये ना एजेंसी को पता लगता है और ना ही आम जनता को। वैसे भी कहा गया है "समरथ को नहीं दोष गोसाई" यानी जो समर्थ है उसको कोई दोष नहीं लगता और आज की तारीख में सांसद हो, विधायक हो या नेता हो उनसे ज्यादा समर्थ कौन है किसी के पास इसका जवाब नहीं है।
पता चला है कि मध्य प्रदेश में विधायकों को घर और गाड़ी लेने के लिए अभी तक जितना कर्ज मिलता था वो अब दोगुना हो गया है उस पर सरकार उन्हें अनुदान भी देगी यानी जो ब्याज लग रहा है उसका बहुत सा हिस्सा सरकार अपनी जेब से देगी। आजकल कर्ज लेने का एक फैशन सा चल गया है हर आदमी लोन ले लेकर सामान खरीद रहा है और हर महीने ईएमआई चुका रहा है हर घर में टीवी, फ्रिज, मोबाइल वाशिंग मशीन,कार स्कूटर आपको मिल जाएगी और ये तमाम चीज लोन से ही खरीदी जाती हैं कोई नगद पैसा नहीं देता सरकार खुद कर्ज पर कर्ज लिए पड़ी है अब जब सरकार खुद कर्ज ले रही है तो फिर उसे विधायकों को कर्ज देने में क्या दिक्कत है?
आजकल गाड़ियों की और मकान की कीमत भी तो बढ़ गई है पहले जो गाड़ी चार पांच लाख में आ जाती थी वो पंद्रह और बीस लाख में आ रही है मकान पचास साठ लाख से कम में मिलने तैयार नहीं है, अब ऐसे विकट समय में उनके लिए कर्ज का दायरा नहीं बढ़ाया जाएगा तो फिर कब बढ़ाया जाएगा। विधायक अपने प्रतिनिधि होते हैं और जरूरी है कि, उनके पास अच्छा घर हो, अच्छी गाड़ी हो तब तो लगेगा कि हां ये नेता है वरना साइकिल पर चलने वाले नेता को कौन पूछता है, जो जितनी महंगी गाड़ी में घूमेगा जितने बड़े बंगले में रहेगा वो उतना बड़ा नेता माना जाएगा, अब इसके लिए सरकार तो बैठी है एक बार विधायक बन जाओ गाड़ी भी ले लो, मकान भी ले लो, लोन भी ले लो और सरकार से अनुदान भी ले लो मतलब सिर्फ लेना ही लेना है देना कुछ नहीं, यही कारण है कि हर आदमी विधानसभा की टिकट चाहता है, अपने अपने राजनैतिक आकाओं की चरण वंदना करता है कि एक बार टिकट दिलवा दो फिर तो अपनी चांदी ही चांदी है अब जब पूरी दुनिया कर्ज पर ही जिंदा है तो इनके कर्ज की राशि दोगुनी कर भी दी तो इसमें किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए । अपना मानना तो यही है बाकि जनता जाने और सरकार।
श्रीमान जी एक पेड़ के नीचे उदास बैठे थे
"क्या हुआ, उदास क्यों बैठे हो" उनके एक दोस्त ने पूछा
"क्या बताऊं यार, किसी ने कहा था कि पेड़ से हमें 'शीतल छाया' मिलती है
मैं यहां पेड़ के नीचे तीन दिन से बैठा हूं,
लेकिन न तो "शीतल" आई और न "छाया."..!
इसे भी पढ़ें:- कहो तो कह दूं.. जब प्यादों के पास करोड़ों, तो राजा और वजीर के पास कितना होगा? : चैतन्य भट्ट
अन्य समाचार
Copyright © 2025 rights reserved by Inkquest Media