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Javed Akhtar angry over Nitish Kumar's hijab scandal
नई दिल्ली। इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का तथाकथित हिजाब कांड देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के चेहरे से बुर्का/हिजाब हटाने की कोशिश का वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भारी नाराज़गी देखी जा रही है। इस मामले पर कई सेलेब्रिटीज़ और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बाद अब मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
दरअसल, सोशल मीडिया पर जावेद अख्तर का बुर्का को लेकर दिया गया एक पुराना बयान वायरल हो रहा था, जिसे नीतीश कुमार के समर्थन के तौर पर पेश किया जा रहा था। इसी पर सफाई देते हुए जावेद अख्तर ने मुख्यमंत्री के व्यवहार की खुलकर निंदा की है।
जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि जो लोग उन्हें थोड़ा भी जानते हैं, वे यह समझते हैं कि वह पर्दा प्रथा के पारंपरिक कॉन्सेप्ट के खिलाफ हैं। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि वे किसी महिला के साथ इस तरह के व्यवहार का समर्थन करेंगे।

उन्होंने साफ शब्दों में लिखा- मैं पर्दा प्रथा के खिलाफ हूं, लेकिन नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के साथ किया गया व्यवहार पूरी तरह गलत और निंदनीय है। मैं इसकी सख्त निंदा करता हूं। नीतीश कुमार को उस महिला से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।
पुराने बयान के वायरल होने से बढ़ा विवाद
जावेद अख्तर की यह प्रतिक्रिया तब सामने आई, जब नवंबर 2025 में दिया गया उनका एक बयान फिर से वायरल हो गया। यह बयान उन्होंने SOA लिटरेरी फेस्टिवल 2025 के दौरान बुर्का और महिलाओं के पर्दा करने को लेकर दिया था।
उस कार्यक्रम में एक छात्र ने जावेद अख्तर से सवाल किया था कि अगर कोई महिला अपनी मर्जी से चेहरा ढकना चुनती है, तो उसे कमजोर क्यों माना जाता है? इस पर जावेद अख्तर ने पलटकर सवाल किया- तुम्हें अपने चेहरे पर शर्म क्यों महसूस होनी चाहिए? आखिर क्यों?
जावेद अख्तर ने अपने बयान में कहा था कि वह अत्यधिक खुले कपड़ों के भी पक्ष में नहीं हैं। उनके मुताबिक, शालीनता पुरुष और महिला दोनों के लिए जरूरी है।
उन्होंने कहा- अगर कोई आदमी ऑफिस या कॉलेज में स्लीवलेस शर्ट पहनकर आए, तो वह भी अच्छा नहीं लगता। औरत और मर्द, दोनों को शालीन कपड़े पहनने चाहिए।
हालांकि, उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि चेहरे को ढकने की आखिर जरूरत क्या है। चेहरे में ऐसा क्या अश्लील या अपमानजनक है जिसे ढकना जरूरी हो? यह सवाल उन्होंने फेस्टिवल में उठाया था।
जावेद अख्तर ने बुर्का पहनने को सामाजिक दबाव से भी जोड़ा था। उन्होंने कहा था कि कई बार महिलाओं को ऐसा करने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है। उनका कहना था- अगर किसी को मौका मिले तो वह ब्रेनवॉश्ड है। और अगर वह कहे कि खुद से कर रही है, तब भी यह सामाजिक दबाव का नतीजा हो सकता है।"