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Prime Minister Modi said in Parliament: "Vande Mataram is the sacrifice of selfishness and the pride of the brave", special debate on the 150th anniversary began
PARLIAMENT: आज संसद में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष बहस आयोजित की गई। इस बहस की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की, जिन्होंने कहा, “स्वार्थ का बलिदान है ये शब्द है वंदे मातरम्... वीर का अभिमान है ये शब्द वंदे मातरम्...” प्रधानमंत्री ने इसे केवल एक गीत नहीं बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन का ऊर्जा स्रोत और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया।
पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् “स्वाभिमान, बलिदान और वीरता” का प्रतीक है। उन्होंने इसे मातृभूमि के प्रति श्रद्धा, देशभक्ति और गौरव की भावना के रूप में पेश किया। उन्होंने यह भी बताया कि यह गीत देशवासियों को कठिन परिस्थितियों में भी संघर्ष और त्याग के लिए प्रेरित करता रहा। प्रधानमंत्री ने इसे “माँ भारत की श्रद्धांजलि” और राष्ट्रीय पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।
इस बहस के लिए संसद में कुल 10 घंटे निर्धारित किए गए हैं। इसमें न केवल सरकार के नेता बल्कि विपक्ष के वरिष्ठ नेता भी हिस्सा ले रहे हैं। बहस का उद्देश्य वंदे मातरम् के महत्व, इसके इतिहास और आज की प्रासंगिकता पर साझा व्याख्या प्रस्तुत करना है। यह बहस सिर्फ गीत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय प्रतीकों और सांस्कृतिक भावनाओं पर गहन विमर्श का हिस्सा मानी जा रही है।
वंदे मातरम् का इतिहास बहुत पुराना है। यह गीत पहली बार 7 नवंबर 1875 को प्रकाशित हुआ था और बाद में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 150 साल बाद इस बहस के माध्यम से देश अपने इतिहास, राष्ट्रीय प्रतीकों और सांस्कृतिक पहचान पर पुनः विचार कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे बलिदान और वीरता का प्रतीक बताते हुए देशवासियों में गौरव और सम्मान की भावना जागृत करने की कोशिश की।
इस बहस के दौरान यह स्पष्ट किया जा रहा है कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि देशभक्ति, राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक है। संसद में इस बहस के माध्यम से देशवासियों को यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि वंदे मातरम् आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना स्वतंत्रता संग्राम के समय था।