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SECL dispute: Congress investigation team reached Parsodhi, honored the agitating women
रायपुर। सरगुजा जिले के अमेरा SECL माइंस के विस्तार के लिए पुलिस और ग्रामीणों के बीच तनावपूर्ण संघर्ष हुआ, जब पुलिस बल ने ग्रामीणों से भूमि कब्जा दिलाने के लिए उन्हें हटाने का प्रयास किया। 03 दिसंबर को हुई इस घटना के बाद कांग्रेस पार्टी ने जांच दल भेजा, जो मंगलवार को परसोढ़ी कला पहुंचा। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने ग्रामीणों से बातचीत की और उनका पक्ष सुना।
ग्रामीणों के अनुसार, SECL और प्रशासन द्वारा अचानक भूमि अधिग्रहण के लिए कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी। पुलिस बल जब गांव में पहुंचा तो महिलाएं खेतों में काम कर रही थीं। पुलिस ने बिना चेतावनी के इन महिलाओं के साथ मारपीट की और उन्हें अपने खेतों से हटाने का प्रयास किया। इस दौरान, गांव के देवस्थान को भी तोड़ दिया गया। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इस संघर्ष में 39 पुलिसकर्मी और 14 ग्रामीण घायल हुए। पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े थे। इस संघर्ष के दौरान कुछ महिलाएं गिरफ्तार हुईं, जिन्हें बाद में कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव, जरींता लैतफलांग द्वारा फूलों की माला पहनाकर सम्मानित किया गया।
कांग्रेस की प्रदेश कमेटी ने पूर्व मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह के नेतृत्व में 10 सदस्यीय जांच दल गठित किया था, जो मंगलवार को परसोढ़ी पहुंचा। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने ग्रामीणों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। जरींता लैतफलांग ने कहा, “हमारी पार्टी राहुल गांधी के निर्देश पर आदिवासियों, अनुसूचित जातियों, किसानों, महिलाओं और अन्य कमजोर वर्गों के हर संघर्ष में उनके साथ खड़ी है।”
ग्रामीणों ने कांग्रेस जांच दल को बताया कि प्रशासन की कार्रवाई उनके साथ नाइंसाफी है। उन्होंने यह भी कहा कि SECL और प्रशासन के बीच जमीन हस्तांतरण पर कोई सहमति नहीं बनी थी, और SECL ने वायदे के बावजूद न तो रोजगार दिया और न ही उचित मुआवजा दिया।
जांच दल ने संघर्ष के दौरान जेल जाने वाली महिलाओं का स्वागत किया। जरींता लैतफलांग ने उन्हें सम्मानित करते हुए कहा कि कांग्रेस इन महिलाओं के संघर्ष को सलाम करती है और उनके साथ खड़ी है। उनका कहना था कि यह संघर्ष सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि आदिवासियों, महिलाओं और गरीबों के अधिकारों का है।
कांग्रेस विधायक जनकलाल ध्रुव ने मुख्यमंत्री पर तंज करते हुए कहा कि उनका प्रशासन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की कठपुतली बन चुका है। उन्होंने कहा, “एक आदिवासी मुख्यमंत्री होने के बावजूद, उनका प्रशासन आदिवासियों पर लाठी चला रहा है।”
डॉ. प्रेमसाय सिंह ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे को न्यायालय तक ले जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस मामले में पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव वकीलों से विचार-विमर्श कर रहे हैं। कांग्रेस ने आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से न्यायालय तक ले जाने की योजना बनाई है।
इस संघर्ष के दौरान, पुलिस बल की टीआई सुनीता भारद्वाज भी संघर्ष के केंद्र में थीं। उन्होंने पत्थरबाजी का सामना करते हुए अपनी बहादुरी का परिचय दिया। इस संघर्ष में वह घायल हो गई थीं, लेकिन उन्होंने बिना डर के ग्रामीणों का सामना किया। उन्हें प्रशासन ने मंगलवार को कलेक्टर विलास भोस्कर द्वारा सम्मानित किया गया। कलेक्टर ने उन्हें पुष्प गुच्छ देकर उनका आभार व्यक्त किया और उनकी बहादुरी को सलाम किया।
ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से यह कहा कि वे अपनी ज़मीन SECL को नहीं देंगे। उनका कहना था कि प्रशासन और SECL की कार्रवाई ने उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है। उन्होंने मंत्री राजेश अग्रवाल के बयान को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि जमीन हस्तांतरण को लेकर ग्रामीणों और SECL के बीच सहमति बन गई थी। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि SECL ने क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं किए, और ना ही CSR के तहत कोई पहल की।
इस पूरी घटना में कांग्रेस पार्टी ने ग्रामीणों के संघर्ष को पूरी ताकत से समर्थन दिया है। जरींता लैतफलांग ने कहा, "हमेशा कांग्रेस पार्टी का उद्देश्य होता है कि गरीबों, आदिवासियों और किसानों के अधिकारों की रक्षा की जाए।" कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वह शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ न्यायालय में इस मामले को लेकर आगे बढ़ेगी।