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For the first time since Partition, Sanskrit studies have begun at the university level in Pakistan.
लाहौर: पाकिस्तान में बंटवारे के बाद पहली बार किसी प्रमुख विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा की पढ़ाई शुरू की गई है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने हाल ही में संस्कृत का एक नया कोर्स लॉन्च किया है। यह कदम न केवल भाषा के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, बल्कि इसे सांस्कृतिक समझ और संवाद बढ़ाने वाला भी बताया जा रहा है।
शुरुआत में यह कोर्स केवल तीन महीने की वीकेंड वर्कशॉप के रूप में आयोजित किया गया था। वर्कशॉप में छात्रों और आम लोगों से मिलने वाले उत्साहजनक रिस्पॉन्स को देखते हुए विश्वविद्यालय ने इसे अब चार-क्रेडिट वाला पूरा यूनिवर्सिटी कोर्स बना दिया है। विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों का कहना है कि भाषाएं किसी सीमा या विभाजन को नहीं बनातीं, बल्कि संस्कृतियां और समाजों को जोड़ने का काम करती हैं।
प्रोफेसर डॉ. अली अहमद ने बताया
“संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, यह ज्ञान, दर्शन और संस्कृति का संग्रह है। इसके अध्ययन से छात्रों को न केवल भारतीय उपमहाद्वीप की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अनुभव होगा, बल्कि भाषा के माध्यम से नई सोच और विचारों का आदान-प्रदान भी संभव होगा।”
विश्वविद्यालय का मानना है कि इस पहल से छात्रों में भाषाओं और संस्कृति के प्रति रुचि बढ़ेगी और यह पाकिस्तान और भारत के बीच सांस्कृतिक संवाद के नए अवसर भी पैदा करेगा।
संस्कृत जैसे शास्त्रीय भाषाओं का अध्ययन युवाओं को ऐतिहासिक और दार्शनिक दृष्टिकोण समझने में मदद करता है और उनमें आलोचनात्मक सोच और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को भी बढ़ाता है।
इस नए कोर्स के जरिए लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो दिखाता है कि शिक्षा और भाषा के माध्यम से सीमाओं से परे आपसी समझ और सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ाया जा सकता है।