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The original form of the mosque has been destroyed ASI made a big disclosure while filing an affidavit in the court in the Sambhal Masjid case
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद को लेकर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाल ही में एक हलफनामा दायर किया है। एएसआई ने कोर्ट को बताया कि उनकी टीम को कई बार इस मस्जिद का मुआयना करने से रोका गया है और अब तक मस्जिद में किए गए मनमाने निर्माण कार्यों का कोई ठोस विवरण उनके पास नहीं है।
एएसआई के अनुसार, 1920 से मस्जिद के संरक्षण की जिम्मेदारी उनके पास है, लेकिन हर बार जब उनकी टीम मुआयने के लिए जाती, स्थानीय लोग विरोध जताते रहे और पुलिस में शिकायत भी करते थे। एएसआई ने बताया कि मस्जिद में 1998 के बाद से अवैध निर्माण हो रहे हैं, जिनमें से सबसे बड़ा उल्लंघन 2018 में सामने आया, जब मस्जिद के मुख्य द्वार पर स्टील की रेलिंग बनाई गई, जिस पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी।
ASI ने कोर्ट में बताया कि मस्जिद के भीतर कई महत्वपूर्ण हिस्सों को नुकसान पहुंचाया गया है। मसलन, नमाजियों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले हौज में पत्थर का नवीनीकरण किया गया, और मस्जिद के भीतर नई फ्लोरिंग में पुराने पत्थर दब गए हैं। इसके अलावा, मस्जिद की दीवारों पर इनेमल पेंट की मोटी परतें चढ़ाई गई हैं, और पुराने निर्माण पर प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया गया है, जिससे मस्जिद का वास्तविक स्वरूप नष्ट हो गया है।
मस्जिद के गुंबद से एक झूमर भी लटकाया गया है, जो कि एक पुराने किताब में वर्णित किया गया था, लेकिन अब मस्जिद में मनमाने निर्माण कार्यों के कारण उसका आंतरिक स्वरूप बहुत बदल चुका है। एएसआई ने यह भी बताया कि मस्जिद के पश्चिमी और उत्तरी हिस्से में कुछ छोटे कमरे बने हैं, जिनमें अब पुराने अवशेष दिखाई पड़ते हैं, लेकिन ये कमरे आमतौर पर बंद रहते हैं।
एएसआई का कहना है कि मस्जिद के आंतरिक हिस्से में चटकीले रंगों का उपयोग किया गया है, जिससे इसका मूल स्वरूप पूरी तरह से बिगड़ चुका है। एएसआई ने कोर्ट में दायर किए गए हलफनामे में यह भी कहा कि इस संरक्षित स्मारक की मूल संरचना को कई स्थानों पर अवैध निर्माणों से विकृत किया गया है, और मस्जिद के कुछ हिस्से अब किराए पर चढ़ा दिए गए हैं, जो प्राचीन वास्तुकला की अवहेलना है।