To adopt Islam it is necessary to be adult and healthy, conversion done under deception and pressure is illegal, Allahabad High Court
लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि मतांतरण केवल हृदय परिवर्तन और स्वेच्छा से किया जा सकता है, और यदि यह धोखे या दबाव में होता है तो वह गैरकानूनी और गंभीर अपराध है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में केवल पक्षों के बीच समझौता करने से केस को रद्द नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकल पीठ ने यह निर्णय रामपुर के तौफीक अहमद की याचिका खारिज करते हुए दिया।
कोर्ट ने कहा कि इस्लाम में धर्म परिवर्तन तभी वास्तविक माना जा सकता है जब एक वयस्क, स्वस्थ मस्तिष्क और स्वेच्छा से पैगंबर मोहम्मद में विश्वास करता हो और उसका हृदय परिवर्तन हुआ हो। कोर्ट ने आगे कहा कि यदि किसी व्यक्ति ने धोखा या दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराया, तो यह न केवल एक गंभीर अपराध है, बल्कि समाज और नारी की गरिमा के खिलाफ भी है। इसके अलावा, इस तरह के मामलों में समझौते के आधार पर केस को रद्द करने के लिए धारा 482 की अंतर्निहित शक्ति का उपयोग करने से इन्कार कर दिया।
यह मामला एक हिंदू लड़की के मतांतरण से जुड़ा था। याची ने रामपुर के स्वार थाने में धारा 420, 323, 376, 344 आईपीसी और धारा 3/4 (1) उत्तर प्रदेश धर्मांतरण रोकथाम अधिनियम, 2020 के तहत दर्ज की गई कार्रवाई को रद्द करने की मांग की थी। याची पर आरोप है कि उसने पीड़िता से दुष्कर्म किया और उसे मतांतरण के लिए दबाव डाला। आरोपी ने हिंदू नाम अपनाकर इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से पीड़िता से दोस्ती की और फिर शादी के बहाने उसे छह महीने तक बंधक बनाए रखा।
यह आरोप सामने आने के बाद पीड़िता ने आरोपों की पुष्टि करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने इस मामले में महिला की गरिमा के साथ किसी भी प्रकार के समझौते को खारिज किया और इसे एक गंभीर अपराध बताया।
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