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only one pure breed chotu in state forest buffalo left in CG
रायपुर। उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व के पत्र ने वन विभाग की पोल खोल दी है। छत्तीसगढ़ में अब केवल एक शुद्ध नस्ल का राजकीय वन भैंसा बचा है। लेकिन वन विभाग दावा करता रहा है कि छत्तीसगढ़ में 8 वन भैंसे है, छ: उदंती सीतानदी में बाड़े में, एक उदंती सीतानदी के जंगल में स्वतंत्र विचरण कर रहा है और एक जंगल सफारी में है। बता दें कि, 2014 में वन विभाग ने वन भैंसो की आबादी बढ़ाने के लिए क्लोनिंग में खर्च किए करोड़ों रूपए खर्च किए थे। लेकिन बाद में भैंसे के बड़े होने पर पता चला की जिसे वन विभाग अब तक वन भैंसा समझ रहा था वह मुर्रा भैंसा निकला। अपनी इस बदनामी को छुपाने के लिए विभाग ने उसका डीएनए टेस्ट नही कराया।
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जू अथॉरिटी के पत्र के बाद सकते में आया वन विभाग
दरअसल, वहा के डिप्टी डायरेक्टर वरुण जैन द्वारा लिखे गए इस पत्र में वन भैसों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। पत्र में कहा गया की वन विभाग द्वारा असम से लाई गई पांच मादा वन भैसों से, छत्तीसगढ़ के सात नर वन भैसों द्वारा प्रजनन कराने का ब्रीडिंग प्लान बना कर सेन्ट्रल जू अथॉरिटी को भेजा गया था। साथ में छत्तीसगढ़ के वन भैसों के नामों की सूची भी भेजी गयी। जिसके जवाब में जू अथॉरिटी ने कहा कि जो नाम भेजे हैं उनमे सिर्फ छोटू वन भैंसा ही शुद्ध नस्ल का है, बाकी सब हाइब्रिड है, इनसे प्रजनन नहीं कराया जा सकता, अथॉरिटी के नियम इसकी अनुमति नहीं देते।
संविधान का दिया हवाला, भागने दिया भैसों को
जू अथॉरिटी की आपत्ति के बाद 10 अगस्त 2023 से उदंती सीतानदी के बाड़े में बंद हाइब्रिड भैंसों को फ़ूड सप्लीमेंट (दलिया, मक्का, विटामिन सप्लीमेंट) देना बंद कर दिया गया। खाना देना बंद करने के 21 दिन बाद डिप्टी डायरेक्टर ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखा कि भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखे, प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे। डिप्टी डायरेक्टर ने लिखा कि संविधान के अनुसार राज्य का भी कर्तव्य है कि राज्य पर्यावरण रक्षा और सुधार करने और देश के सभी वनों और वन्य जीवों की सुरक्षा करने का प्रयास करेगा। डिप्टी डायरेक्टर ने जू अथॉरिटी की आपत्ति का हवाला देकर लिखा कि समस्त हाइब्रिड वन भैसों को खुले में घूमने छोड़ा जाना उचित होगा।
तीन लॉट में भागे हाइब्रिड वन भैंसे
वन भैंसों को खाना देना बंद करने के 23 दिन बाद 3 सितम्बर की रात भूख के कारण 11 हाइब्रिड वन भैंसे बाड़ा तोड़ कर भाग गए, उसके बाद 24 सितम्बर की रात 5 और 17 अक्टूबर को 2 कुल 18 वन भैंसा जंगल भाग गए।
(जंगल में घूमते हुए भागे हुए वन भैंस)
बाड़े में बचे केवल 3 भैसे वह भी बीमार
1.शुद्ध नस्ल का एक मात्र वन भैंसा बचा है जिसका नाम छोटू है। वह 23 वर्ष का उम्रदराज वन भैंसा है। बाड़े में वीरा नामक वन भैंसा से हुई लड़ाई के दौरान उसकी दोनों आँख ख़राब हो गई, वह लगभग अँधा है। बताया जाता है कि बाड़े में लगे लोहे के बाहर निकले टुकडों से टकरा कर उसकी आखें ख़राब हो गई।
2.वही हाइब्रिड प्रिंस पूरी तरह अंधा है। बताया जाता है की वह खुले में विचरण करता था लेकिन अज्ञात कारणों से उसकी दोनों आँख ख़राब हो गई। अब उसे अलग बाड़े में रखा गया है।
3.हाइब्रिड आनंद बीमार है। आनंद की वीरा से लड़ाई के दौरान दोनों सिंग ऊपर से टूट गए थे। आज से तीन महीने पहले उसमे पस पड़ा हुआ था, उसके बाद उसे और कोई डॉक्टर देखने नहीं गया।
(हाइब्रिड वन भैंसा आनंद बीमार)
महाराष्ट्र के कोलामारका कंजर्वेशन रिजर्व में है शुद्ध नस्ल के वन भैंसे
अब सेंट्रल इंडिया में शुद्ध नस्ल के कुछ ही वन भैंसे स्वतंत्र विचरण करने वाले बचे हैं। जो कि अधिकतर समय महाराष्ट्र के गडचिरोली के कोलामारका कंजर्वेशन रिजर्व में रहते हैं कभी-कभी इंद्रावती नदी पार करके वह छत्तीसगढ़ में आ जाते हैं। छत्तीसगढ़ वन विभाग दावा करता है कि वह छत्तीसगढ़ के हैं।
दोषियों पर कार्यवाई कब?
राज्य में नई सरकार बन गयी है। ऐसे में साय सरकार वन्य जीवों को लेकर वन विभाग के इस कारस्तानी पर क्या कार्यवाई करती है इसका इंतज़ार रहेगा।