Woman cannot commit rape but may be guilty of inciting rape Madhya Pradesh HC
बलात्कार के मामले में भारतीय क़ानून के तहत उकसावे की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल ने एक केस की सुनवाई में दिए अपने निर्णय में कहा कि, भले ही कोई महिला स्वयं बलात्कार के लिए आरोपित नहीं हो सकती, लेकिन वह आईपीसी की धारा 109 के तहत बलात्कार के लिए उकसाने की दोषी हो सकती है।
यह मामला भोपाल ज़िले के छोलामंदिर थाने में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें अभियोगी महिला ने आरोप लगाया कि अभियुक्त अभिषेक गुप्ता उसके साथ प्रेम संबंध में था। साल 2021 को उसने विवाह का प्रस्ताव दिया और इसके बाद अभिषेक ने कई बार जबरन उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। यह घटनाएं उसके घर और एक होटल में हुईं, जिसकी जानकारी अभियुक्त की मां और भाई को भी थी। हालांकि बाद में लड़का शादी से मुकर गया जिसके बाद लड़की ने उसके खिलाफ केस दर्ज करवाया।
अदालत ने कहा कि, आईपीसी की धारा 376 “एक पुरुष” से शुरू होती है, जो स्पष्ट करता है कि बलात्कार का अपराध केवल पुरुष द्वारा किया जा सकता है। लेकिन धारा 109 के तहत महिला उकसावे के लिए दोषी ठहराई जा सकती है।
“जानबूझकर अपराध में सहायता करना धारा 107 IPC की तीसरी परिभाषा में आता है। अतः महिला और पुरुष दोनों बलात्कार के लिए उकसावे के दोषी हो सकते हैं।”
“निस्संदेह, एफआईआर में याचिकाकर्ताओं के नाम नहीं हैं, लेकिन अभियोगी द्वारा धारा 161 और 164 Cr.P.C. के तहत दिए गए बयानों में स्पष्ट आरोप लगाए गए हैं…”
हाईकोर्ट ने धारा 376/34 के तहत लगाए गए आरोपों को हटाया।
इसके स्थान पर ट्रायल कोर्ट को धारा 376 सहपठित 109 के तहत आरोप तय करने का निर्देश दिया।
धारा 506-II और 190 के तहत लगे आरोप यथावत रखे गए।
“मेरे विचार में, लगाए गए आरोपों को देखते हुए प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ताओं ने धारा 376/109, 506 और 190 के तहत अपराध किया है।”
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