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chhattisgarh High Court accepts wife divorce plea for husband who secreted her age
बिलासपुर। धोखा देकर अधिक उम्र के पति द्वारा विवाह करने के मामले में हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील स्वीकार करते हुए तलाक की अनुमति दी है। पारिवारिक न्यायालय ने पत्नी की तलाक की अर्जी खारिज की थी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
दरअसल, याचिकाकर्ता और उसके पति का विवाह 5 मई 2011 को हिंदू रीति-रिवाजों से संपन्न हुआ था। लेकिन विवाह के तुरंत बाद पति और उसके परिवार ने पत्नी के साथ क्रूरता शुरू कर दी। साथ ही, पति ने विवाह के समय अपनी वास्तविक उम्र और नौकरी के बारे में गलत जानकारी दी थी। उसने दावा किया था कि वह एक सरकारी कर्मचारी है।
परिस्थितियों के चलते दोनों अलग हो गए। इसके बाद पति ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत पत्नी को साथ रहने का आदेश पारिवारिक न्यायालय जांजगीर-चांपा से प्राप्त किया। पत्नी ने तलाक के लिए याचिका दायर की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। इसी निर्णय के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
पूरे मामले पर सुनवाई हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय जायसवाल की बेंच में हुई। अपीलकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पारिवारिक न्यायालय का निर्णय कानून और तथ्यों के विपरीत है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह विवाह पूरी तरह से टूट चुका है और इसे पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि दोनों पक्ष लंबे समय से अलग रह रहे हैं, और यह स्थिति सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के अनुसार भी तलाक का आधार है। हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) (बी) के तहत पत्नी के तलाक के आवेदन को स्वीकारते हुए, 5 मई 2011 को संपन्न इस विवाह को भंग कर दिया।