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The final battle to end Naxalism Experiences of journalist Raja Singh Rathore
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर कांकेर जिले से सटा एक बड़ा इलाक़ा अबुझमाड़ जिसे वर्षों से नक्सल मामलों में कोई बूझ नहीं पाया था। पर समय का परिवर्तन देखिए नक्सलियों के सबसे कोर व मज़बूत इलाके में समय बीता कर कांकेर और नारायणपुर जैसे ज़िलों में पुलिस के कप्तान और उप कप्तान बनें पुलिस के चार अधिकारियों ने अबुझमाड़ को ऐसे बूझे की छत्तीसगढ़ का इतिहास ही पलट दिया। बात कांकेर अमित कांबले व पुलिस कप्तान इंद्रा कल्याण ऐलेसेला उप कप्तान संदीप पटेल और नारायणपुर के पुलिस कप्तान प्रभात कुमार उप कप्तान रॉबिनशन गुरिया की हो रही है। इन चारों ने अपने अपने जिले का नेतृत्व करते हुए अबुझमाड़ में एक नहीं एक के बाद एक कई सारें सफल ऑपरेशन कर छत्तीसगढ़ के इतिहास में नक्सल मोर्चे पर पुलिस को सबसे बड़ी सफलता दिला छत्तीसगढ़ पुलिस व सुरक्षाबलों को एक अलग पहचान दिलाई। पहले तेलंगाना की ग्रेहाउंड तो महाराष्ट्र की सी-60 फोर्स हमारे राज्य में घुसकर नक्सलियों को नुक़सान पहुँचा जाते थे पर अब हमारे राज्य के जवान अब तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमा पर उन राज्यों में सक्रिय नक्सलियों को नुक़सान पहुँचा सुरक्षित लौट रहे हैं यह छत्तीसगढ़ के इतिहास में अपने तरह का बदलाव है।
इसके पीछे बस्तर आईजी सुंदरराज पी. की मेहनत भी कम नहीं है बस्तर में बतौर आईजी सुंदरराज पी. ने स्वयं नेतृत्व करते हुए संभाग के सभी जिलों में सुरक्षाबलों के अलग अलग फोर्स से बेहतर तालमेल स्थापित करने साथ तमाम फोर्स के अधिकारियों के साथ ऑपरेशन के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर ज़मीन तक ऑपरेशन को सफल बनाने अपना कड़ी मेहनत लगाई तब नतीजा सुखद दिखाई पड़ रहा है।
नक्सल मोर्चे पर राज्य में उच्चस्तर पर मौजूद एडीजी विवेकानंद सिन्हा को याद करना ज़रूरी है। एडीजी विवेकानंद सिन्हा बस्तर के कुछ ज़िलों में एसपी से लेकर बस्तर आईजी तक सेवा दे चूके हैं और बस्तर में सेवा देने का अनुभव वर्तमान में फोर्स के लिए काफ़ी लाभदायक साबित हो रहा है। उपर से विवेकानंद सिन्हा ग्राउंड पर काम करने का प्राथमिकता देते हैं और अधिकारियों से सम्पर्क में बने रहते हैं इनकी भी एक अलग भूमिका इस सफलता के पीछे है।
बस्तर में सीआरपीएफ कोबरा आईटीबीपी बीएसएफ़ जैसे केंद्रीय बलों की भूमिका इस सफलता के पीछे कोई कम नहीं है। बस्तर में आज जो स्थिति फोर्स और सरकार के पक्ष में बनें हैं उसमें केंद्रीय बलों की भूमिका अलग ही लेवल की है सीआरपीएफ व कोबरा बटालियन में वर्तमान में ऐसे मेहनतकश और बहादुर अधिकारी नक्सल मोर्चे पर डटे हैं, जिन्हें मैं बहुत क़रीब से वर्षों से पहचानता हूँ जो ऑपरेशन में खुद ही जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं। ताकी जवानों और अधिकारीयों के बीच कोई फासला ना हो लगातार हर ऑपरेशन में केंद्रीय बलों की भूमिका सराहनीय है और उनके अधिकारियों का लगन मेहनत बस्तर में शांति व्यवस्था क़ायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
दक्षिण बस्तर मतलब नक्सलियों का सबसे मज़बूत क़िला जहां सुकमा में पुलिस कप्तान किरण चव्हाण तो दंतेवाड़ा में गौरव रॉय बीजापुर में जितेंद्र यादव सीधे नक्सलियों की बटालियन से टकराने तैयार हैं। लगातार नक्सलियों के बटालियन के इलाके में जितेंद्र और किरण कैम्प स्थापित कर रहे हैं तो दंतेवाड़ा से गौरव रॉय दोनों जिले के साथ ऑपरेशन बेहतर भूमिका निभा रहे हैं। वैसे गौरव रॉय बीजापुर और जगदलपुर के साथ भी ऑपरेशन कर चुके हैं। हाल में नारायणपुर और दंतेवाड़ा के जवानों को 31 नक्सलियों को मार गिराने में जो सफलता मिली थी। उसमें दंतेवाड़ा और नारायणपुर का संयुक्त ऑपरेशन था तो गौरव भी सफलता में पीछे नहीं है। इधर जितेंद्र और किरण लगातार कैम्प के उपर कैम्प खोले जा रहे हैं। सुकमा जैसे ज़िलों के लिए नुक़सान रोक पाना बड़ी चुनौती थी पर किरण ने सुरक्षाबलों को होने वाले नुक़सान को ख़त्म करने की दिशा में बेहतर कार्य किया यही सबसे बड़ी सफलता है तो लगातार गिरफ़्तारी और आत्मसमर्पण से नक्सल संगठन को चोट पहुँचा रहे हैं।
बस्तर के मध्य में स्थित बस्तर ज़िला जहां नक्सल मामले में अच्छी जानकारी रखने वाले एसपी शलभ कुमार सिन्हा हैं। शलभ कुमार सिन्हा पड़ोसी जिले के साथ लगातार ऑपरेशन और अपने अनुभव से पड़ोसी ज़िले के लिए बेहतर माहौल भी तैयार कर रहें हैं। ऐसा ही कुछ कोंडागांव जिले के एसपी अक्षय कर रहे हैं बस्तर में वर्तमान में सुरक्षाबलों के पक्ष में जो माहौल नज़र आ रहा है इनकी भी अलग भूमिका है।
वर्तमान में सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन बटालियन के अधिकारियों और जवानों की मेहनत से दक्षिण बस्तर में अलग ही परिणाम देखे जा रहे हैं। सुकमा बीजापुर सीमा पर कोबरा की 210 बटालियन के कमांडेंट अशोक 201 बटालियन के कमांडेंट अमित चौधरी 204 बटालियन के कमांडेंट संतोष मल 206 बटालियन के कमांडेंट पुष्पेंद्र और अन्य बटालियन साथ ही सीआरपीएफ की 223 बटालियन के कमांडेंट नवीन 150 बटालियन के कमांडेंट आरसी शुक्ला 50वीं बटालियन 217 बटालियन 219 बटालियन 74 बटालियन 212 बटालियन 2nd बटालियन 226 बटालियन 131 बटालियन 241 बस्तरिया बटालियन 228 बटालियन व अन्य बटालियन के अधिकारियों ने कोर इलाक़े में मोर्चा सँभाला हुआ है नक्सलियों के घेर कर इन बटालियन के जवान बैठे हुए हैं और उन्हीं के इलाके में घुसकर ऑपरेशन कर रहे हैं जिससे बस्तर में आज माहौल सुरक्षाबलों के पक्ष में नज़र आने लगा है।
सीआरपीएफ ने बस्तर को जो दिया है वह बस्तर का बच्चा जानता है बीते दो दशक में सीआरपीएफ की मेहनत का ही नतीजा है जब बस्तर में आज शांति स्थापना की ओर कदम बढ़ने लगे हैं उन अधिकारियों को भी नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने बस्तर में शांति के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया है। ऐसे पुलिस व सीआरपीएफ के अधिकारी है पूर्व सीआरपीएफ आईजी डीएस चौहान जो सीधे ज़मीन के लोगों से सम्पर्क रखते थे डीएम अवस्थी पूर्व डीजीपी ये भी सीधे ग्राउंड पर उतर कर बात करते थे साथ ही सीआरपीएफ के अधिकारियों में सुशील मिश्रा, एस एलांगो, कोमल सिंह, एसके मिश्रा, डीएस नेगी, राकेश राव, योज्ञान सिंह जैसे अधिकारियों की मेहनत को भी बस्तर के वर्तमान स्थिति पर भूलया नहीं जा सकता है। और उन बहादुरों की भूमिका अविष्मरणीय है जो अब शहीदों के रूप में हमारी यादो में है।