Know what was the Simbhavali Sugar Mill fraud case in which Justice Yashwant Verma name has come up
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर बड़ी मात्रा में कैश मिलने का मामला तेजी से बढ़ता जा रहा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट के ओर से आंतरिक जांच शुरू करने और जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में तबादला किए जाने के बाद अब साल 2018 का सिंभावली शुगर मिल धोखाधड़ी मामला भी चर्चा में आ गया है। दरअसल, इस मामले में जस्टिस वर्मा का नाम आरोपियों में शामिल था। आइए जानते हैं यह मामला क्या था।
दरअसल, मामला फरवरी 2018 का है, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की शिकायत के बाद सिंभावली शुगर्स मिल के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। बैंक का आरोप था कि कंपनी ने 5,762 किसानों के लिए दिए 150 करोड़ रुपये के ऋण का दुरुपयोग किया और राशि का अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया। इस FIR के 5 दिन बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECR) दर्ज की थी।
CBI ने यह FIR इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से 14 दिसंबर, 2023 को आदेश देने के बाद दर्ज की थी। कोर्ट ने कहा था कि शुगर मिल कंपनी ने बैंक ऋण का उपयोग अपना कर्ज चुकाने, गन्ना का बकाया भुगतान करने और परिचालन खर्च में किया है, जबकि कंपनी यह खर्च अपनी आय से करना था। कंपनी के इस कदम से ऋण का लाभ हासिल करने वाले हजारों किसान वंचित रह गए। ऐसे में इसकी जांच जरूरी है।
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TOI के अनुसार, CBI ने अपनी FIR में सिंभावली शुगर मिल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक गुरमीत सिंह मान, उप प्रबंध निदेशक गुरपाल सिंह और कंपनी के CFO, कार्यकारी और गैर-कार्यकारी निदेशकों सहित 8 अन्य के नाम शामिल थे। इसमें 10वें आरोपी के रूप में जस्टिस यशवंत वर्मा का भी नाम था, क्योंकि वह 13 अक्टूबर, 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में अपनी पदोन्नति होने से पहले तक सिंभावली शुगर मिल के गैर-कार्यकारी निदेशक रहे थे।
आरोपों की गंभीरता के बावजूद, मामले बेहद धीमी रफ़्तार से चली और वर्मा सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई महत्वपूर्ण कार्रवाई नहीं की गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को रुकी हुई जांच फिर से शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन 18 मार्च, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बिना किसी जांच या सबूत के FIR का आदेश दिया था।
बता दें कि, जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से हाल ही में भारी मात्रा में नकदी बरामद होने से उनके पिछले वित्तीय लेन-देन और सिंभावली शुगर्स मिल धोखाधड़ी मामले में उनकी कथित भूमिका के बारे में सवाल फिर से उठ खड़े हुए हैं। आलोचकों का तर्क है कि 2018 में CBI की निष्क्रियता और 2024 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से उच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा कार्रवाई न करने के कारण आज ऐसे हालात बने हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट से अक्टूबर 2021 में दिल्ली स्थानांतरित हुए यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च आग लगी थी। घटना के समय जस्टिस वर्मा शहर में नहीं थे। तब उनके परिवार ने अग्निशमन और पुलिस को बुला लिया। आग बुझाने के बाद टीम ने बंगले का मुआयना किया तो विभिन्न कमरों में भारी मात्रा में नकदी मिली। इसकी जानकारी CJI संजीव खन्ना को हुई तो उन्होंने कॉलेजियम बैठक बुलाकर जस्टिस वर्मा का स्थानांतरण कर दिया।
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