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Madhya Pradesh: Lokayukta takes strict action, several officials arrested red-handed while accepting bribe
भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकायुक्त विभाग द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है। साल की शुरुआत से अब तक कई अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में भी यह अभियान जारी रहा। लोकायुक्त की टीम ने बालाघाट, नरसिंहपुर, शिवपुरी, देवास और झाबुआ सहित कई जिलों में अलग-अलग मामलों में अधिकारियों को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
बालाघाट: तहसील कार्यालय में चाय की दुकान पर रंगे हाथों गिरफ्तार
11 दिसंबर को बालाघाट जिले में लोकायुक्त की टीम ने तहसील कार्यालय बिरसा में पदस्थ बाबू राजकुमार रामटेक को ₹3000 की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। फरियादी ने बताया कि जेल में बंद एक आरोपी ने फर्जी तरीके से जमीन बेचने की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बाबू ने ₹5000 की मांग की, जिसके बाद लोकायुक्त की टीम ने कार्रवाई करते हुए उन्हें चाय की दुकान पर रंगे हाथों पकड़ा।
नरसिंहपुर: वेतन दिलाने के नाम पर रिश्वत की मांग
नरसिंहपुर जिले में लोकायुक्त की टीम ने सहकारिता निरीक्षक संजय दुबे को ₹3000 की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। गोटेगांव तहसील के गांव सिमरिया के रहने वाले समिति प्रबंधक देवी प्रसाद के अनुसार, दुबे दो माह की सैलरी दिलाने के लिए पैसे की मांग कर रहे थे।

शिवपुरी: कलेक्टरेट तक पहुंची रिश्वत की आंच
शिवपुरी जिले में अपर कलेक्टर दिनेश चंद्र शुक्ला के स्टेनो मोनू शर्मा को जमीन विवाद में फरियादी से ₹15000 की रिश्वत मांगते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। पहली किस्त के रूप में ₹5000 ली गई थी।

देवास: नौकरी और तनख्वाह के नाम पर सौदेबाज़ी
देवास जिले में महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी रामप्रवेश तिवारी को कंप्यूटर ऑपरेटर से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। फरियादी ने बताया कि अधिकारी ने दो माह की सैलरी के लिए पैसे की मांग की थी। पहले ₹4000 दिए गए थे, लेकिन अधिकारी ने लगातार अतिरिक्त राशि की मांग की। लोकायुक्त की टीम ने ₹5000 की दूसरी किस्त लेते हुए उन्हें रंगे हाथों पकड़ा।

झाबुआ: विभागीय कार्रवाई खत्म कराने के नाम पर रिश्वत
झाबुआ जिले में जनजाति विभाग में पदस्थ लेखपाल शांतिलाल पर विभागीय कार्रवाई खत्म कराने के लिए ₹50000 की मांग की जा रही थी। इसके अलावा एक अकाउंटेंट को ₹14500 की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त इंदौर की टीम ने गिरफ्तार किया।
कानूनी कार्रवाई
लोकायुक्त की टीम द्वारा पकड़े गए सभी रिश्वतखोर अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1998 (संशोधन 2018) की धारा 7 के तहत कार्यवाही की गई है।