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Waqf Amendment Act implemented across the country, Central Government issued notification
नई दिल्ली। वक्फ संशोधन अधिनियम आज से देशभर में लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की है कि वक्फ अधिनियम को आठ अप्रैल से प्रभावी कर दिया गया है।
बता दें कि, भारी हंगामे और विपक्ष के विरोध के बीच संसद के दोनों सदनों से यह कानून पारित किया गया गया था। जिसके बाद पिछले सप्ताह संसद और राष्ट्रपति ने दी वक्फ संशोधन अधिनियम को मंजूरी दी थी। इसके बाद यह तय नहीं था कि नया कानून कब से लागू होगा। हालांकि, आज मंगलवार को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि वक्फ संशोधन कानून आठ अप्रैल से प्रभावी होगा।
बता दें कि, वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें राजनेताओं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिकाएं शामिल हैं। इन याचिकाओं में नए बनाए गए कानून की वैधता को चुनौती दी गई है। इसे लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है।
कानून में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि वक्फ द्वारा उपयोगकर्ता का खंड हटाया गया है, और यह साफ किया गया है कि वक्फ संपत्ति से संबंधित मामले अब पूर्वव्यापी तरीके से नहीं खोले जाएंगे, जब तक कि वे विवादित न हों या सरकारी संपत्ति न हों। इसके अलावा वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का समर्थन किया गया है, ताकि वे वक्फ मामलों में रुचि रखने वाले या विवादों में पक्षकार बन सकें।
नए कानून में वक्फ बोर्डों के संचालन में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जैसे कि अब बोर्ड में गैर-मुस्लिम और कम से कम दो महिला सदस्यों को नामित किया जाना प्रस्तावित है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, दो पूर्व न्यायाधीश, चार 'राष्ट्रीय ख्याति' के व्यक्ति और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी होंगे, जिनमें से कोई भी इस्लामी धर्म से संबंधित नहीं होगा।
बता दें कि, अगस्त 2024 में संसद में जो विधेयक पेश किया गया था, उसमें वक्फ से जुड़े विवादों के मामलों में जिला कलेक्टर को जांच की शक्ति दी गई थी। हालांकि, जेपीसी ने जिला कलेक्टर वाली शक्ति को खत्म करने पर सहमति जता दी और राज्य सरकार को अब इन मामलों की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी नामित करने का अधिकार देना प्रस्तावित कर दिया।
मौजूदा कानून के तहत पंजीकृत हर वक्फ संपत्ति की जानकारी अधिनियम लागू होने के बाद छह महीने के अंदर सेंट्रल डाटाबेस में देना जरूरी है। इतना ही नहीं डाटाबेस में किसी भी सरकारी संपत्ति को जिलाधिकारी के पास चिह्नित किया जाएगा, जो कि बाद में इस मुद्दे पर जांच कर सकेंगे। कानून में शामिल इस संशोधन में कहा गया है कि अगर वक्फ संपत्ति को केंद्रीय पोर्टल में नहीं डाला जाता तो इससे वक्फ की जमीन पर अतिक्रमण होने या विवाद पैदा होने पर अदालत जाने का अधिकार खत्म हो जाएगा। हालांकि, एक अन्य स्वीकृत संशोधन अब मुतवल्ली (कार्यवाहक) को राज्य में वक्फ न्यायाधिकरण की संतुष्टि बाद कुछ स्थितियों में पंजीकरण के लिए अवधि बढ़ाने का अधिकार देगा।
वक्फ कानून, 1995 के तहत वक्फ न्यायाधिकरण को सिविल कोर्ट की तरह काम करने की स्वतंत्रता दी गई थी। इसका फैसला अंतिम और सर्वमान्य माना जाता था। इन्हें किसी भी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। ऐसे में वक्फ न्यायाधिकरण की ताकत को सिविल अदालत से ऊपर माना जाता था। हालांकि, कानून में अब वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के तरीके को भी बदला जा रहा है। इसमें कहा गया है कि वक्फ न्यायाधिकरण में एक जिला जज होगा और एक संयुक्त सचिव रैंक का राज्य सरकार का अधिकारी सदस्य के तौर पर जुड़ा होगा। वक्फ संशोधन विधेयक में कहा गया कि न्यायाधिकरण का फैसला अंतिम नहीं होगा और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी।