20 years imprisonment to brother in law who raped his sister-in-law, know why HC gave the punishment even though rape was not confirmed in the medical report
बिलासपुर। 13 साल की नाबालिग साली के साथ दुष्कर्म करने वाले जीजा को छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने 20 साल कैद की सजा सुनाई है। मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि न होने के बावजूद पीड़िता और गवाहों के बयान के आधार पर यह सजा सुनाई गई है। पूरा मामला खैरागढ़ का है।
जानकारी के अनुसार, पूरा मामला साल 2023 का है जब पीड़िता अपने घर के बाहर अपने भाई के साथ खेल रही थी। तभी पड़ोस में रहने वाला राजेलाल मरावी (पीड़िता के मौसी का दामाद) उसे बहला फुसला कर अपने घर लेकर चला गया जहां उसके पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। पूरी रात खोजने के बाद पीड़िता अपने मां बाप को आरोपी के घर से बरामद हुई। उसने बताया कि राजेलाल ने उसके साथ गलत हरकत की है। इस बात की जानकारी लगते ही मां बाप में थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। जहां पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि, उसके साथ दो बार दुष्कर्म हुआ। पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ पॉक्सो के तहत अपराध दर्ज किया। हालांकि, मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। मामले में सुनवाई के बाद पीड़िता और गवाहों के बयान के आधार पर निचली अदालत के आरोपी को जीवित रहते तक कठोर कारावास की सजा सुनाई। जिसके खिलाफ आरोपी के हाइकोर्ट में अपने वकील अमित बख्शी के माध्यम से अपील की।
केस की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने माना कि, दुष्कर्म के मामले में 16 साल से कम आयु की पीड़िता का बयान ही अपने आप में सबूत है। हालांकि, निचली अदालत के फैसले को संशोधित करते हुए हाइकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा को घटाकर 20 साल की कैद में बदल दिया। पूरे मामले में सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच द्वारा की गई।
बता दें कि, इस केस को AFR (रिपोर्टिंग के लिए स्वीकृत) श्रेणी में डाला है। इस तरह के फैसलों को एक उदाहरण के तौर पर नए जजों को पढ़ाया जाता है।
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