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Amit Shah clarifies 3D policy on electoral reforms in Parliament: "Infiltrators will be detected, deleted and deported
BREAKING NEWS: सदन में चुनाव सुधारों (electoral reforms) पर दो दिन चली बहस के बाद बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में अपना जवाब दिया। उन्होंने विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज किया कि सरकार मतदाता सूची में अवैध घुसपैठियों (illegal immigrants) को शामिल कर रही है। अमित शाह ने कहा कि सरकार की नीति स्पष्ट है -“डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट” (Detect, Delete, Deport) - यानी किसी भी घुसपैठिए को मतदाता सूची में नहीं रखा जाएगा और उन्हें देश से बाहर किया जाएगा।
अमित शाह ने यह भी कहा
अमित शाह ने यह भी कहा कि अवैध घुसपैठियों का मतदाता सूची में शामिल होना लोकतंत्र और देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी अवैध घुसपैठिया वोट देने का अधिकार नहीं रखता और लोकतंत्र तभी सुरक्षित रहेगा जब मतदाता सूची केवल देश के असली नागरिकों की होगी। उन्होंने 3D नीति और Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए कहा कि ये कदम चुनाव की पारदर्शिता और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं।
विपक्षी दलों ने अमित शाह के इस जवाब का विरोध किया
विपक्षी दलों ने अमित शाह के इस जवाब का विरोध किया। कुछ सांसदों ने नारेबाजी की और वॉकआउट भी किया। उनका कहना था कि इस तरह की घोषणाएं विशेष समुदायों और प्रवासियों को डराने-धमकाने की रणनीति हो सकती हैं। विपक्ष का यह भी आरोप है कि SIR प्रक्रिया का दुरुपयोग वोटर सूची से लोगों को हटाने या बाहर करने के लिए किया जा सकता है, जो संवैधानिक अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
सरकार का तर्क है कि 3D नीति और SIR प्रक्रिया देश की सुरक्षा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं। अमित शाह ने कहा कि कोई भी घुसपैठिया मतदाता सूची में नहीं रह सकता, चाहे उसके पास वोटर कार्ड क्यों न हो। उन्होंने साफ कहा कि यह प्रक्रिया राजनीतिक एजेंडे के लिए नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और लोकतंत्र की मजबूती के लिए लागू की जा रही है।
इस पूरी बहस के दौरान संसद में मतदाता सूची की पारदर्शिता और चुनाव सुधारों की आवश्यकता पर चर्चा हुई। यह बहस आगामी चुनावों और मतदाता सूची पुनरावलोकन के लिए दिशा तय करेगी। विरोधी दलों का कहना है कि यह कदम नागरिक अधिकारों और अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व पर असर डाल सकता है, जबकि सरकार इसे लोकतंत्र की रक्षा और अवैध घुसपैठियों को रोकने का तरीका मानती है।