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Arbitrary fare collection by private buses in CG Letter for reconsideration sent to Law Department by mistake CM sai will take decision
बिलासपुर। प्रदेश की निजी बसों में मनमाना किराया वसूली और सुविधाएं न मिलने के मामले में सोमवार को सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि किराये पर पुनर्विचार के लिए पत्र गलती से विधि विभाग को भेज दिया गया था। अब इस संबंध में कैबिनेट में निर्णय होना है। प्रदेश के मुख्यमंत्री के समक्ष प्रकरण लंबित है, जिस पर निर्णय होना है।
किराये के नाम पर राउंड फिगर का बहाना देकर मनमाने किराए की वसूली और बसों में सुविधाएं न मिलने के मामले में सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा, जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ने पूर्व आदेश के परिपालन के बारे में पूछा। इस पूरे मामले में प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि सरकार की तरफ से कोर्ट के आदेश के अनुपालन में प्रक्रिया शुरू की गई है। यह मुद्दा मुख्यमंत्री के समक्ष लंबित है और नगरीय निकाय चुनावों के कारण यह रुका था। अब इस पर जल्द निर्णय किया जाएगा। शासन ने इस संदर्भ में और जानकारी प्रस्तुत करने के लिए हाईकोर्ट से समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह का समय देते हुए 17 मार्च 2025 को अगली सुनवाई रखी है।
बता दें कि पूर्व में प्रदेश में सिटी बसों के बंद होने से आम लोगों को हो रही परेशानियों को लेकर खबर पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। कोर्ट में यह तथ्य आया कि राउंड फिगर के नाम पर यात्रियों से लूट की जा रही है। जिसपर कोर्ट ने हर बस स्टैंड पर किराया सूची चस्पा करने, बसों में डिस्प्ले बोर्ड लगाने और किराये पर पुनर्विचार करने को कहा था। 15 अक्टूबर 2024 को सुनवाई के दौरान शासन ने जवाब दिया था कि इस संबंध में विधि एवं विधायी विभाग को पत्र भेजा गया है।विभाग से इस संबंध में अधिसूचना जारी होगी। 8 नवंबर को सुनवाई के दौरान बताया गया कि विधि विभाग को पत्र गलती से भेज दिया गया था। इस संबंध में कैबिनेट में निर्णय होना है। पूर्व में हाईकोर्ट ने इस पर चार सप्ताह के भीतर कैबिनेट की बैठक कर निर्णय लेने को कहा था।