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Big change in peri-urban and rural land valuation, square meter rate completely abolished
रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में वित्त एवं वाणिज्य कर पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी की अध्यक्षता में राज्य सरकार ने ग्रामीण और पेरी-अर्बन क्षेत्रों में भूमि मूल्यांकन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने वर्ग मीटर दर को पूर्णतः समाप्त कर दिया है। अब इन क्षेत्रों में भूमि का मूल्यांकन केवल हेक्टेयर दर के आधार पर किया जाएगा, जिससे आम नागरिकों, किसानों और भू-धारकों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।
पहले ग्रामीण क्षेत्रों में 500 वर्ग मीटर तक की भूमि का मूल्यांकन वर्ग मीटर दर से और 500 वर्ग मीटर से अधिक भूमि का मूल्यांकन हेक्टेयर दर से होता था। इससे कम क्षेत्रफल वाली भूमि पर अधिक मूल्यांकन और मुआवजा लगता था, जबकि बड़े भूखंड पर अपेक्षाकृत कम। इस विसंगति को समाप्त करते हुए अब सभी भूमि का मूल्यांकन समान हेक्टेयर दर से होगा।
उदाहरण के लिए, बालोद जिले के देवारभाट में 500 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन पहले 9.25 लाख रुपये और 1000 वर्ग मीटर भूमि का केवल 3.67 लाख रुपये होता था। नई व्यवस्था में 500 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 6 लाख रुपये और 1000 वर्ग मीटर भूमि का 12 लाख रुपये किया जाएगा।
वर्ग मीटर दर समाप्त होने से स्टाम्प एवं रजिस्ट्री शुल्क में भी कमी आई है। उदाहरण के तौर पर, देवारभाट में 15 डिसमिल भूमि का पंजीयन पूर्व में 74,900 रुपये खर्च आता था, अब केवल 45,500 रुपये ही देना होगा, जिससे पक्षकारों को 29,400 रुपये का सीधा लाभ हुआ।
सरकार का उद्देश्य भूमि और आवास से जुड़ी प्रक्रियाओं को सुलभ, किफायती और पारदर्शी बनाना है। इस सुधार से न केवल आम नागरिकों और किसानों को लाभ मिलेगा, बल्कि रियल एस्टेट और विकास कार्यों को भी बढ़ावा मिलेगा।