Pintu Mallah earned 30 crores from Maha Kumbh
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से आयोजित महाकुंभ ने कइयों लोगों की जिंदगी बना दी। इस मैले में आये कइयों बाबाओं ने अपनी अघोर तपस्या और अटूट आस्था के दम पर हिन्दुस्तान ही नहीं बल्की बाहरी देशों में भी भारत का लोहा मनवाया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में महाकुंभ के नाम तीन नए वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज किये गए। इनमें पहला वर्ल्ड रिकॉर्ड गंगा की सफाई के लिए मिला। ऐसा पहली बार हुआ, जब दुनिया में किसी नदी की सफाई के लिए 329 स्थानों पर सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान चलाया गया। वहीं, दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड झाड़ू लगाने के लिए मिला है, जिसमें 19 हज़ार सफाईकर्मियों ने महाकुम्भ के मेला क्षेत्र में एक साथ झाड़ू लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, और तीसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड, हैंड प्रिंट पेंटिंग बनाने का... जिसमें 8 घंटे में 10 हज़ार 102 लोगों ने अपने हाथ की छाप लगाकर चित्रकारी की और एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।
महाकुंभ में आये साधु- नागा बाबाओं ने सत्य सनातन धर्म का गौरव गान दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। यहां आये कुछ आम चेहरों ने भी अपनी कुछ ख़ास खूबी के चलते खूब नाम कमाया। चाहे वो आईआईटी वाले बाबा हो, या सुन्दर आखों वाली मोनालिसा हो, इन्ही में से एक महाकुंभ में सामान्य से नाविक परिवार से आने वाले पिंटू मल्लाह ने भी खूब नाम और पैसा कमाया, महाकुंभ में दर्शनार्थियों को अपनी नाव में सेवा देकर महाकुंभ में मोटी कमाई की।
बता दे कि, 45 दिन तक चले महाकुंभ के दौरान पिंटू मल्लाह के परिवार ने 30 करोड़ रुपये की कमाई की। यह सुनकर कई लोग हैरान हैं, लेकिन पिंटू का कहना है कि, उनकी पूरी कमाई ईमानदारी से हुई है। जब उनसे पूछा गया कि, नाविकों ने मनमाना किराया लिया तो, उन्होंने साफ इनकार किया। पिंटू का कहना है कि, सरकार ने जो तय किया था, उन्हीं दरों पर हमने किराया लिया है। हालांकि, कुछ अन्य नाविकों ने मनमाने किराए की वसूली की होगी, लेकिन उनके परिवार ने ऐसा नहीं किया।
वहीं, इस मामले पर पिंटू मल्लाह ने बताया कि, कुंभ मेले की तैयारी उन्होंने कई महीनों पहले से शुरू कर दी थी। पूरे परिवार ने मिलकर 130 नावों को तैयार कराया, ताकि मेले के दौरान अधिकतम कमाई हो सके। इस दौरान पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए उन्हें अपनी मां के गहने तक गिरवी रखने पड़े। आपको बता दें कि, उनके परिवार में तक़रीबन 100 लोग हैं, और वे प्रयागराज के नैनी के अरेल इलाके के रहने वाले हैं।
आपको बता दें कि, इस मामले की चर्चा आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में बजट सत्र के दौरान की। उन्होंने कहा कि, 20 हजार से अधिक नाविकों ने संगम में श्रद्धालुओं को पुण्य की डुबकी लगवा कर न केवल अपने परिवारों का भरण-पोषण किया, बल्कि कई परिवारों ने आर्थिक समृद्धि की कहानी भी लिखी। एक नाविक परिवार के पास 130 नावें थीं, और 45 दिनों की अवधि में उस परिवार ने 30 करोड़ रुपये की शुद्ध कमाई की। यानी एक नाव ने 45 दिनों में 23 लाख रुपये की कमाई की, जो इस मेले के रोजगार आधारित आय के बढ़ने का स्पष्ट उदाहरण है।
सूत्रों ने बताया कि, प्रयागराज के नाविक संघ में करीब 6 हजार पंजीकृत नाविक हैं। प्रयागराज नाविक संघ के अध्यक्ष लल्लू लाल निषाद ने बताया कि “मेले के दौरान हर नाविक को हर दिन 800 से 1000 रुपये की कमाई होती थी। अगर पूरी नाव बुक की जाती थी, तो प्रतिदिन की कमाई और भी अधिक हो जाती थी।” सभी नाविकों को मिलाकर उनकी आय जोड़ी जाय तो प्रतिदिन करीब 50 लाख रुपये की कमाई होती थी, जो मेले के दौरान 22 करोड़ रुपये है।
उल्लेखनीय है कि, प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान महरा परिवार ने 30 करोड़ रूपये की कमाई की। महरा परिवार के पास सौ से अधिक नाव हैं। महरा परिवार महाकुंभ के दौरान अपनी इस आर्थिक उपलब्धि पर अत्यंत प्रफुल्लित है। उन लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री जी ने निषाद समाज का सम्मान किया है।
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