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Big update on CG Principal promotion: HC took this decision in the hearing; Now thousands of teachers have their eyes on it!
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। लंबे समय से चल रहे प्राचार्य पदोन्नति (प्रिंसिपल प्रमोशन) से जुड़े विवाद पर हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। अब सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, क्योंकि जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
बता दें कि, यह मामला लेक्चरर से प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति के मापदंडों (नियमों) को लेकर दायर की गई आधा दर्जन से ज़्यादा याचिकाओं से जुड़ा है। 11 जून से लगातार इसकी सुनवाई चल रही थी, जो आज 17 जून को पूरी हुई।
सुनवाई के दौरान कई अहम मुद्दों पर वकीलों ने अपने-अपने पक्ष रखे, जिसमें..
1.) 20 साल की सेवा और 50 साल की उम्र में बीएड से छूट: क्या लंबे अनुभव वाले शिक्षकों को बीएड की अनिवार्यता से छूट मिलनी चाहिए?
2.) प्रधान पाठक (हेडमास्टर) और लेक्चरर का कोटा: प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन के लिए इन दोनों पदों से आने वालों के लिए क्या नियम हों और कोटा कैसे तय हो?
3.) जूनियर शिक्षकों का प्रमोशन: क्या जूनियर शिक्षकों को भी इसमें मौका मिलना चाहिए?
4.) प्रशासनिक पद के लिए बीएड की अनिवार्यता: क्या प्रशासनिक पदों के लिए भी बीएड अनिवार्य होना चाहिए?
इन सभी विषयों पर हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं (इंटरविनर) के वकीलों ने मजबूती से पक्ष रखा, जिसमें टीचर्स एसोसिएशन के अधिवक्ता अनूप मजूमदार, अमृतोदास, विनोद देशमुख और जमील अख्तर भी शामिल थे। वहीं, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने सभी मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखा।
इस अहम सुनवाई के दौरान मनोज सनाढ्य, रामगोपाल साहू, राजेश शर्मा, चंद्रशेखर गुप्ता और तोषण गुप्ता जैसे कई गणमान्य व्यक्ति और प्रतिनिधि कोर्ट में मौजूद थे। हाई कोर्ट का यह फैसला हजारों शिक्षकों के भविष्य को प्रभावित करेगा, जो लंबे समय से प्राचार्य बनने का इंतजार कर रहे हैं। अब देखना यह है कि, कोर्ट अपने फैसले में इन सभी मापदंडों और विवादों पर क्या रुख अपनाता है।