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Breaking News: SC's big decision; Voter list revision continues in Bihar, but 'Aadhaar' will also be used as identity
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची में संशोधन जारी रखने की अनुमति दे दी है, लेकिन इसके साथ ही चुनाव आयोग (EC) को आधार कार्ड को भी पहचान पत्र के रूप में मानने का निर्देश दिया है। यह फैसला बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के "विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR)" को लेकर चल रहे विवाद के बीच आया है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने मतदाता सूची संशोधन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन इस अभ्यास के समय पर सवाल उठाया, क्योंकि यह बिहार में विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची में संशोधन संवैधानिक जनादेश है, लेकिन यह चुनाव से स्वतंत्र रूप से किया जाना चाहिए था।
शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि चुनाव आयोग ने सत्यापन के लिए स्वीकार किए जाने वाले दस्तावेजों की सूची से आधार कार्ड को बाहर कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि आधार, वोटर आईडी कार्ड (EC द्वारा जारी) और राशन कार्ड को भी वैध पहचान प्रमाण के रूप में माना जाना चाहिए। हालांकि, चुनाव आयोग के पास सुझाव को अस्वीकार करने का अधिकार होगा, बशर्ते वे बहिष्कार के लिए उचित कारण दें।
विपक्ष के कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को "मनमाना" और "भेदभावपूर्ण" बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। उनका तर्क था कि यह प्रक्रिया जल्दबाजी में की जा रही है और उन मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है जो 2003 के बाद पंजीकृत हुए हैं। चुनाव आयोग ने अपनी ओर से तर्क दिया कि यह अभ्यास डुप्लिकेट और फर्जी मतदाताओं को हटाने के लिए आवश्यक है और यह उसकी संवैधानिक जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को करेगा। तब तक, मसौदा मतदाता सूची अगस्त में प्रकाशित होने वाली है।