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बिहार के महाबोधि मंदिर में बौद्ध भिक्षुओं का धरना, जानें पूरा मामला

By: शुभम शेखर
GAYA
4/14/2025, 7:43:41 PM
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Buddhist monks stage protest at Mahabodhi temple in Bihar

बिहार के गया में स्थित भगवान बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति के स्थल बोध गया में पिछले 2 महीने से बौद्ध भिक्षु धरना दे रहे हैं। वे 12 फरवरी से महाबोधि मंदिर के बाहर सरकारी स्वामित्व वाले दोमुहान के पास बैठे हैं। निरंजना नदी के तट पर बसे बोधगया के भिक्षुओं की मांग है कि बोध गया मंदिर अधिनियम (बीटी अधिनियम), 1949 को निरस्त कर बौद्धों को मंदिर प्रबंधन पर विशेष अधिकार दिया जाए।

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बौद्ध क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?

दरअसल, आजादी के बाद बने कानून के तहत मंदिर का प्रबंधन 8 सदस्यीय बोध गया मंदिर प्रबंध समिति (BTMC) करती है। इसमें 4 बौद्ध और 4 हिंदू हैं।समिति के पदेन अध्यक्ष गया जिला मजिस्ट्रेट होते हैं। इसी को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि समिति में बाहरी धर्म के लोग बौद्ध नियंत्रण को कम करती है और वास्तविक धार्मिक स्वायत्तता के बजाय औपनिवेशिक युग के समझौते को दिखाती है। उन्होंने समिति में दूसरे धर्मों का विरोध किया है।

कहां से हुई है इसकी शुरूआत?

भारत में 12वीं शताब्दी में इस्लामी आक्रमण के बाद बौद्ध धर्म का पतन हुआ और हिंदू भिक्षुओं ने बोध गया स्थल पर नियंत्रण किया। शैव महंत गिरी ने 1590 में मंदिर के पास मठ स्थापित किया और समय के साथ विश्वास पैदा किया कि बुद्ध विष्णु के अवतार थे। 19वीं शताब्दी में हिंदू महंत के खिलाफ बौद्ध पुनरुत्थानवादी अनागरिक धर्मपाल ने लड़ाई शुरू की। आजादी के बाद 1949 में बिहार सरकार ने संघर्ष सुलझाने के लिए बीटी अधिनियम पेश किया।

लालू कर चुके हैं बौद्धों को पूरा नियंत्रण सौंपने की कोशिश

बीटी अधिनियम बनने के बाद भी यहां हिंदू और बौद्ध दोनों को यहां पूजा करने की अनुमति थी, जिसे बौद्धों ने कभी स्वीकार नहीं किया। 1990 के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने बौद्धों को पूरा नियंत्रण सौंपने की कोशिश की थी और एक विधेयक मसौदा तैयार किया था, लेकिन यह कभी पारित ही नहीं हुआ। इसके बाद से लगातार अखिल भारतीय बौद्ध मंच सरकार पर दबाव बनाए हुए है।

बोधगया के महाबोधि मंदिर का क्या है इतिहास?

बोध गया के महाबोधि मंदिर में दुनियाभर के बौद्ध तीर्थयात्री आते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी खास है। यही वह स्थल है, जहां गौतम बुद्ध ने 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था। यहीं सम्राट अशोक ने स्मारक या स्तंभ स्थापित किया था।मंदिर का वर्तमान ढांचा 5वीं-6ठी शताब्दी में गुप्त काल में बना है। यह 2002 में यूनेस्को की विश्व धरोहर बना है।

धरने को मिला राजनीतिक समर्थन

बौद्ध भिक्षुओं के शांतिपूर्ण धरने को राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है। धरनास्थल पर बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के पोस्टर के साथ भीम आर्मी के भी पोस्टर लगे हैं। मायावती महाबोधि आंदोलन को अपना समर्थन दे चुकी हैं। प्रकाश अंबेडकर 16-17 अप्रैल को बोधगया जाएंगे।

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