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रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीतें बुधवार को प्रदेश के पूर्व आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है। लखमा को सात दिनों की ईडी रिमांड पर रखा गया है। इस बीच लखमा में ईडी पूछताछ करेगी, कयास लगाए जा रहे है कि, इस पूछताछ में कई बड़े नामों के खुलासे भी हो सकते है। वहीं इस गिरफ्तारी पर प्रदेश में सियासत में काफी गरमाई हुई है। जिसे लेकर पक्ष विपक्ष के नेता एक दूसरे पर हावी होते भी दिखाई दे रहे है। वहीं इसे लेकर आक्रोशित कांग्रेसियों ने आज सुकमा बंद का ऐलान भी कर दिया है। सुकमा में सभी दुकानों गली चौक चौराहों में सन्नाटा पसरा हुआ है।इस बीच कांग्रेस के कार्यकर्ता शहर में नारेबाजी करते हुए लखमा की गिरफ्तारी पर अपना विरोध प्रदर्शन करते दिखाई दे रहे है।
लखमा की इस गिरफ्तारी से नाराज कांग्रेस नेताओं ने भाजपा पर गंभीर आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा कि, बीजेपी ईडी के माध्यम से कांग्रेस को डराना चाहती है। लखमा कोंटा से 6 बार के विधायक हैं, आगामी नगरीय और पंचायत चुनाव हैं। ऐसे में बीजेपी कई प्रकार के हथकंडे अपना कर कांग्रेस के गढ़ में विजय हासिल करना चाहती है।
वहीं इस मामले पर छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रहे भूपेश बघेल का भी बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा है कि, यह कार्रवाई बदले की भावना से की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने की साजिश रच रही है और पूरी कांग्रेस पार्टी कवासी लखमा के साथ खड़ी है। तो वहीं प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम रहे टीएस सिंह देव ने इस पूरी कार्रवाई को दुर्भावना से प्रेरित बताया है। इसके आलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इसे बीजेपी की गन्दी राजनीती का हिस्सा बताया है।
इन सब के बीच भाजपा के कद्दावर नेताओ ने भी कांग्रेस के आरोप पर पलटवार किया है। भाजपा नेता और प्रदेश के वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा है कि, लखमा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के षड्यंत्रों का शिकार हैं। घोटालों के किंगपिन और पॉलीटिकल मास्टर तक जांच एजेंसियों के हाथ पहुचेंगे ही। प्रदेश की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई लूटने वाले, उन्हें नकली और घटिया शराब तक परोसने वालों को उनके किये की सजा मिलकर रहेगी।
इसके आलवा बीजेपी के प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन का बयान सामने आया है। नितिन नबीन ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आड़े हाथों लेते हुए निशाना साधा है। नितिन नबीन ने कहा कि, किट्राइबल आदमी द्वारा अपराध कराया गया। मास्टरमाइंड पीछे बैठा है। कानून इतना मजबूत है कि, मास्टरमाइंड को जल्द ही पकड़ निकालेगा। दिखता है कि, ट्राइबल के प्रति आपकी क्या सोच है। भूपेश बघेल आप बस नहीं बचेंगे। यह दिखाता है कि, ट्राइबल को लेकर भूपेश बघेल की क्या सोच है। आप किस चीज के लिए जाने जाते हैं। इस अपराध का जनक बचेगा नहीं।
बता दें कि, शराब घोटाला मामले में 28 दिसंबर 2024 को ED ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की थी। इस छापेमारी में ED ने नगद लेन-देन के सबूत मिलने की जानकारी दी थी। इसके बाद, तीसरी बार पूछताछ के बाद ED ने कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें कोर्ट में पेश किया जा रहा है। इस मामले में आयकर विभाग ने 11 मई, 2022 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और सौम्या चौरसिया के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया था कि, छत्तीसगढ़ में रिश्वत और अवैध दलाली के जरिए बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा था। इस पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA Act के तहत मामला दर्ज किया था।
अब तक इस मामले में 2161 करोड़ के घोटाले का जिक्र किया गया है। ED की चार्जशीट के अनुसार, साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के जरिए शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के मुख्य आरोपी अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त किया, जिसके बाद अधिकारियों, कारोबारियों और राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के माध्यम से भ्रष्टाचार किया गया। इससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ। आरोप है कि, अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम लगाकर अवैध तरीके से शराब की बेधड़क बिक्री की, जिससे राज्य के राजस्व को भारी नुकसान हुआ। जानकारी के मुताबिक, CSMCL की दुकानों में तीन प्रमुख ग्रुपों की शराब बेची जाती थी। केडिया ग्रुप (52 प्रतिशत), भाटिया ग्रुप (30 प्रतिशत), और वेलकम ग्रुप (18 प्रतिशत)।
ईडी के वकील डॉ सौरभ पांडे ने बताया कि शराब घोटाले की जांच में कुछ महत्वपूर्ण गवाहों के बयान सामने आए हैं। इनमें से एक गवाह अरविंद सिंह ने यह बताया था कि लखमा को हर महीने 50 लाख रुपए की मासिक राशि शराब कर्ल से मिलती थी। वहीं अरुणपति त्रिपाठी की गवाही से ये बात सामने आई है कि, इसके बाद, इस राशि में 1.5 करोड़ रुपये और जोड़े जाते थे, जिससे कुल मिलाकर उन्हें हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। यह रकम 36 महीने तक जारी रही, जिससे इस स्कैम से जुड़े कुल मनी लॉन्ड्रिंग की राशि ₹72 करोड़ तक पहुंची। इस संदर्भ में, ईडी ने अतिरिक्त जांच के दौरान यह भी पाया कि शराब कर्ल से ये पैसें आर्गेनाइज किए जाते थे और कन्हैयालाल कुर्रे के माध्यम से उन्हें भेजा जाता था।
इसके अलावा, डिजिटल साक्ष्यों से यह सामने आया कि, यह पैसा लखमा के परिवार के सुकमा स्थित घर और कांग्रेस भवन के निर्माण में उपयोग हुआ। पांडे ने इस बात की भी पुष्टि की कि इस पूरे मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियाँ सामने आई हैं, जिसके आधार पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। लखमा की गिरफ्तारी के बाद उनके सहयोग की कमी और गवाहों को प्रभावित करने की संभावना को देखते हुए उनकी 14 दिन की रिमांड मांगी गई थी, हालांकि न्यायालय ने 21 जनवरी 2025 तक रिमांड दी है। ईडी के मुताबिक, मामले की जांच आगे भी जारी रहेगी, और आवश्यकता पड़ने पर अन्य गवाहों को बुलाया जाएगा।
गिरफ्तारी के बाद लखमा ने जाते जाते अपने बयान में कहा है कि, वह गरीब आदमी है इसलिए उन्हें फंसाया जा रहा है। इसके पीछे नरेंद्र मोदी, अमित शाह और विष्णुदेव साय है। उनके घर से एक रुपये भी बरामद नहीं हुआ है, न ही कोई कागज पाया गया है। सरकार ने फर्जी मामला बनाया है। बस्तर और छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव होने है इसलिए यह साजिश रची गई है। वह कांग्रेस के लिए जीते रहे है और कांग्रेस के लिए ही मरेंगे।