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CG News CBI takes over Mahadev Satta case Troubles for suspects may increase
रायपुर। प्रदेश के चर्चित महादेव सट्टा मामले की पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय और ईओडब्ल्यू के बाद सीबीआई ने इसकी जांच अपने हाथ में ले ली है। दिल्ली से सीबीआई की स्पेशल टीम इसके लिए यहां भेजी गई है। सीबीआई के अफसरों ने ईडी और ईओडब्ल्यू में दर्ज केस की डायरी लेने के साथ ही गोपनीय जांच भी शुरू कर कर दी है इ इस माह महादेव सट्टा में कमीशन और प्रोटेक्शन मनी का पैसा लेने वाले कुछ अधिकारियों और नेताओं के घरों में छापे की तैयारी में है। क्योंकि पुलिस, ईओडब्ल्यू और ईडी की कार्रवाई अब तक सिर्फ पैनल चलाने वालों तक सिमट कर रह गई थी। केस डायरी में नाम जरूर है लेकिन किसी भी बड़े नेता या अफसर पर कार्रवाई नहीं की गई। पैनल ऑपरेटर, हवाला कारोबारी और पैसा निवेश करने वालों को गिरफ्तार किया है।
जबकि आरोप है कि, पिछली सरकार के प्रभावशाली अधिकारी और नेताओं को सट्टा बिना किसी रुकावट चलाने के लिए सिक्योरिटी मनी के तौर पर हर माह 1 करोड़ रुपए दिया जा रहा था। सट्टेबाजी एप के एक प्रमोटर ने दुबई से वीडियो जारी कर खुद इसका दावा किया था। आईटी के छापे और ईडी की रिपोर्ट में भी ये तथ्य सामने आ चुका है, लेकिन गिरफ्तारी किसी की नहीं गई है। इसलिए सरकार ने सीबीआई जांच का फैसला लिया है।
ईडी ने 2022 में ECIR दर्ज किया था। इसमें सट्टेबाजी के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल, शुभम सोनी, अतुल अग्रवाल को आरोपी बनाया गया। जांच शुरू की गई। ईडी ने सिपाही, एएसआई रैंक के पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार किया है। इसके बाद हवाला कारोबारी, निवेशक को गिरफ्तार किया है। इस दौरान बड़े अधिकारियों व नेताओं के नाम सामने आए लेकिन गिरफ्तार नहीं किया गया। चार्जशीट में जरूर कई नेताओं, तीन ओएसडी, आईजी रैंक के दो अधिकारी, SSP, एएसपी, टीआई रैंक के अधिकारी और विधायक का जिक्र किया। लेकिन कभी इनके घर पर छापा नहीं मारा। ईडी की जांच यहीं रूक गई।
राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद ईओडब्ल्यू ने 4 मार्च 2024 को महादेव सट्टे में हवाला और मनी लॉड्रिंग मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की। ईओडब्ल्यू ने 19 लोगों पर नामजद एफआईआर की। कई नेताओं, पुलिस अधिकारी, ब्यूरोक्रेट्स को भी आरोप बनाया है, लेकिन उनके नाम का कहीं उल्लेख नहीं किया है। ईओडब्ल्यू की कार्रवाई सिपाही और कुछ पैनल ऑपरेटर तक सिमटी रही। इसलिए अब इसे सीबीआई के हवाले किया जा रहा है।
जेल में बंद एएसआई चंद्रभूषण वर्मा ने ईडी को पूछताछ में कई चौंकाने वाले बयान दिए हैं। उसने कबूला कि, तीन ओएसडी को हर माह 35-35 लाख पहुंचाता था। राज्य सरकार के एक सचिव को हर माह एक करोड़ जाता था। दुर्ग के दो कारोबारियों को एक-एक करोड़ मिलता था। एएसआई का आरोप है कि आईजी रैंक के अफसरों को 20-20 लाख, एसपी को 10-10 लाख और रायपुर-दुर्ग के एएसपी रैंक के अधिकारियों को 35-35 लाख महीना पैसा दिया गया है पर जांच आगे नही बढ़ी।
वहीं अब तक इस मामले में 2296 करोड़ की संपत्ति अटैच की है। इसमें 19.36 करोड़ कैश, 16.68 करोड़ के जेवर हैं। बाकी प्रॉपर्टी हैं। ईडी ने 11 लोगों की गिरफ्तारी की है। जबकि ईओडब्ल्यू ने 14 लोगों की गिरफ्तारी की है।
दुर्ग में जूस सेंटर चलाने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने लॉकडाउन के समय 2020 में महादेव सट्टा एप शुरू किया। इसमें शुभम सोनी, कारोबारी अतुल अग्रवाल समेत अन्य लोग जुड़े। आरोपियों ने सट्टेबाजी से 10 हजार करोड़ से ज्यादा की आय अर्जित की है। उसके बाद सभी दुबई भाग गए। दुबई से अभी यह ऑपरेट हो रहा है।